रविवार, 24 मई 2020

महाराजा रणजीत सिंह जिन्होंने मुग़लों के दांत किए थे खट्टे


--महाराजा रणजीत सिंह एक महान राजा व अजेय योद्धा


 


प्राचीन भारत का इतिहास गौरवशाली एवम वैभवता से परिपूर्ण रहा है प्राचीन भारतीय इतिहास अनेक राजा महाराजा व सम्राट हुए जिनकी यशकीर्ति सम्मपूर्ण भारत व दूसरे देशों तक भी फ़ैली उन्होंने भारत के बड़े भूभाग पर शासन किया तथा राजव्यवस्था को लोककल्याण के प्रति उत्तरदायी बनाया यह सिलसिला सम्राट हर्षवर्धन तक चलता रहा ,इसी समयकाल में अरब में एक नए धर्म इस्लाम का उद्भभव हुआ जिसका प्रभाव कालांतर में निरंतर बढ़ता गया 


हर्षवर्धन की मृत्यु के पश्चात उत्तरी भारत मे समाजिक धार्मिक व राजनीतिक अस्थिरता का एक लंबा दौर चला जिसने स्थानीय समाजिक ताने बाने में उथल पुथल मचा दी क्षत्रिय समाज अनेक जातियो में विभक्त हो गया और समस्त उत्तरी भारत मे अनेक छोटे छोटे राज्य स्थापित हो गए इन राज्यों के राजा आपस मे ही अपनी शक्ति व वीरता का परीक्षण करते रहे इसी समय भारत की पश्चिमी दिशा से अनेक इस्लामिक धार्मिक उन्मादियों ने धर्म के प्रचार प्रसार एवम यहां की धन संपदा को लूटने के उद्देश्य से अनेकों बार आक्रमण किये यह सिलसिला 711ईसवी से प्रारम्भ होकर 1761 तक निरंतर चलता रहा भारतीय राजाओ ने आपसी युद्धों में चाहे जो वीरता दिखाई हो परन्तु विदेशी आक्रांताओं के विरुद्ध निर्णायक युद्धों जिनमे भारत के भविष्य का निर्णय होने वाला था के परिणाम को अपने पक्ष में करने में विफल रहे ये एक कटु सत्य है जो प्रत्येक भारतीय के मन मस्तिष्क बेचैन करता है


इन परिस्थितियों में राणा सांगा व सम्राट हेमू के झुझारूपन व महाराणा प्रताप ,सिख गुरुओं द्वारा आजादी व स्वाभिमान के लिए किया गया संघर्ष वीर शिवाजी के नेतृत्व में मराठाओ का विजयी अभियान पेशवाओं द्वारा उसको दिया गया विस्तार तथा आगरा मथुरा क्षेत्र के जाटों के नेतृत्व में जाट ,गूजरो व अहीरों व अन्य किसान जातियों द्वारा मुगलो की बिल्कुल नाक के निचे किया गया विद्रोह एवम मुगलिया सल्तनत को दी गई चुनौती हमे गर्व की अनुभूति कराती है 


1761 में जब अब्दाली ने मराठो को हर दिया तो उसने दिल्ली के लालकिले में अपना दरबार लगाया और घोषणा की कि अफगानिस्तान की सीमाएं अब सतलज नदी तक होगी अब्दाली की मौत के पश्चात उसके वंशजो द्वारा इस क्षेत्र पर शासन किया


ऐसी परिस्थितियों में 1780 ईस्वी में पंजाब की भूमि पर सुकरचकिया मिस्ल के सरदार महासिंह जाट के घर मे एक बालक ने जन्म लिया जिसका नाम रणजीत सिंह था 


रणजीत सिंह ने 1799 में लाहौर पर आक्रमण कर दिया 1801 तक रणजीत सिंह ने लाहोर पर पूर्ण एवम स्थाई अधिकार कर महाराजा की उपाधि धारण की 1801 में लाहौर से शुरू हुआ उसका विजय अभियान अमृतसर, कसूर ,जम्मू,मुल्तान, कागड़ा, शिमला,कश्मीर,लद्दाख़, अटक ,पेशावर ,जमरूद होता हुआ काबुल तक पहुचा उनकी जीत का यह क्रम 1801 से उनकी मृत्यु तक चलता रहा जम्मू जीतकर अपनी फ़ौज के कमांडर गुलाब सिंह को उसका प्रशासक नियुक्त किया जो बाद में जम्मू कश्मीर का राजा बना 


महाराजा रणजीत सिंह ने अफगानी आक्रांताओ को पीट पीट कर पंजाब की भूमि से बहार खदेड़ दिया अफगानी इतने डर गए कि गुफाओ में दुबक गए और खैबर के दर्रे की तरफ कोई भी विदेशी आक्रांता आंखे उठाने की हिम्मत नही जुटा सका 40 वर्षों तक खैबर के दर्रे से जिहादी आक्रांताओ का आगमन बन्द हो गया


महाराजा रणजीत सिंह द्वारा लगभग 11से12 लाख वर्ग किलोमीटर भूमि को विजित किया गया सम्राट हर्षवर्धन के पश्चात महाराजा रणजीत सिंह के अलावा किसी भी अन्य राजा के द्वारा इतने बड़े भूभाग पर शासन नही किया गया उन्हे काबुल विजय में जो सोना प्राप्त हुआ उसका आधा भाग स्वर्ण मंदिर परिसर व आधा भाग काशी विश्वनाथ मंदिर को भेंट स्वरूप दिया तथा इनका जीर्णोद्धार कराया


बी बी सी द्वारा कराए गए एक सर्वे में महाराजा रणजीत सिंह को दुनिया की तमाम ऐतिहासिक हस्तियों में सर्वकालिक महान शासक चुना गया इन महान हस्तियों में ब्रिटिश महरानी एलिजाबेथ प्रथम, विस्टन चर्चिल,फ्रांसीसी क्रांतिकारी जान आफ आर्क, अब्राहम लिंकन मुगल बादशाह अकबर को शामिल किया गया ये हमारे लिए गर्व का विषय है


परन्तु भारतीय इतिहासकारो ने ऐसे महान विजेता ,कुशल प्रशासक,वीर प्रतापी सेनानायक एवम झुझारू योद्धा को शेर ए पंजाब कहकर एक निश्चित दायरे में समेटने का जो कुत्सित प्रयास किया गया वह निंदनीय है भारत माँ के ऐसे सच्चे सपूत को शेर ए पंजाब नही शेर ए हिंदुस्तान कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नही होगी


डा0 अजीत देशवाल


(लेखक सामाजिक राजनैतिक मामलो के जानकार हे ओर ये लेख इनका निजी शोध व विचार है)


फोन÷9756824242


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