सोमवार, 18 मई 2020

जम्‍मू कश्‍मीर में एक एनकाउंटर में मारा गया था शाहिद अफरीदी का आतंकी भाई, इसलिए हुआ ये पाक क्रिकेटर पागल



नई दिल्‍ली। पाकिस्‍तान आर्मी की कॉम्‍बेट यूनिफॅार्म में पाकिस्‍तान अधिकृत कश्‍मीर यानी पीओके पहुंचे पाकिस्‍तान के पूर्व क्रिकेटर शाहिद अफरीदी ने एक बार फिर कश्‍मीर पर जमकर बयान दिया।  भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उल्‍टा-सीधा बोला।   शाहिद कभी इस बात का जिक्र नहीं करते हैं कि उनका एक भाई था जो आतंकी था और जिसे जम्‍मू कश्‍मीर में एक एनकाउंटर में ढेर किया गया था। 
अफरीदी अगर कश्‍मीर के लिए भावुक होते हैं तो उसकी कहानी सन् 1947 में भारत और पाकिस्‍तान के बीच हुए बंटवारे से भी जुड़ी है। शाहिद के लिए कश्‍मीर एक व्‍यक्तिगत मसला है। अफरीदी के पूरे खानदान को कश्‍मीर में आतंकवाद के लिए जिम्‍मेदार माना जाता है। शाहिद और कश्‍मीर की कहानी सितंबर 2003 से जुड़ी हुई है। सात सितंबर 2003 को शाहिद के चचेरे भाई को सेना और बीएसएफ ने दक्षिण कश्‍मीर के अनंतनाग में एनकाउंटर में ढेर किया था। कई घंटों तक चली मुठभेड़ के बाद मारे गए आतंकी की पहचान शाकिब के तौर पर हुई थी। शाकिब, शाहिद का फर्स्‍ट कजिन था। एनकाउंटर के बाद बीएसएफ ने बताया था कि शाकिब, हरकत-उल-अंसार का बटालियन कमांडर था और बाद में इसी संगठन को लश्‍कर-ए-तैयबा में मिला लिया गया था। अफरीदी बोले-मुझे नहीं मालूम मेरे कितने कजिन शाकिब के पास से बीएसएफ को डॉक्‍यूमेंट मिले थे और इन डॉक्‍यूमेंट की वजह से उसका अफरीदी परिवार से ताल्‍लुक साबित हुआ था। शाकिब, पेशावर का रहने वाला था और मारे जाने से करीब डेढ़ साल पहले से वह अनंतनाग से अपनी गतिविधियों को संचालित कर रहा था। शाहिद अफरीदी उस समय पाकिस्‍तान की राष्‍ट्रीय क्रिकेट टीम में थे और इस बात से साफ मुकर गए कि शाकिब के साथ उनका किसी तरह को कोई रिश्‍ता है। उस समय शाहिद ने बयान दिया था, श्पठान परिवार बहुत बड़े हैं और मुझे वाकई नहीं मालूम कि मेरे कितने कजिन हैं।श् क्‍या है बंटवारे की कहानी अफरीदी ने पिछले वर्ष सितंबर में मुजफ्फराबाद में हुई रैली में यह भी कहा, मेरे दादा साहिबजादी अब्‍दुल बकी साहिब को गाजी-ए-कश्‍मीर की उपाधि मिली हुई थी। ऐसे में कश्‍मीर मेरा और मेरे बच्‍चों का है।श् अफरीदी, कश्‍मीर में आतंकवाद का समर्थन करते हैं तो इसके पीछे एक और वजह है। जिस समय सन् 1947 में अंग्रेजों ने भारत-पाक का बंटवारा किया, उस समय जम्‍मू कश्‍मीर को कुछ समय के लिए एक अलग देश की तरह रखा गया। जिस समय भारत, कश्‍मीर पर अपने दावे को लेकर आगे बढ़ रहा था, उसी समय पाकिस्‍तान ने अफरीदी कबायलियों को ही कश्‍मीर पर कब्‍जा करने के लिए भेजा। अफरीदी की वजह से है कश्‍मीर में आतंकवाद अफरीदी, कश्‍मीर में दाखिल हुए और इन्‍हें पाकिस्‍तान आर्मी के ऑफिसर मेजर जनरल अकबर खान की शह मिली हुई थी। खान के नेतृत्‍व में ही अफरीदियों ने कश्‍मीर पर हमला किया। बताया जाता है कि ट्रक में भर-भरकर अफरीदी आए और उन्‍होंने महिलाओं का बलात्‍कार किया और यहां पर जमकर लूटपाट की। इसके बाद जब महाराजा हरि सिंह उनसे लड़ने में असफल रहे तो उन्‍होंने भारत के साथ एक्‍सेशन ट्रीटी साइन की और फिर भारत की सेना यहां पर दाखिल हुई और उसने आतंकियों को बाहर किया। इतिहासकारों के मुताबिक अफरीदी लूटी हुई संपत्ति को पेशावर लेकर चले गए थे। 


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