गुरुवार, 30 अप्रैल 2020

मरने से पहले क्‍यों एक बार पाकिस्‍तान जाना चाहते थे ऋषि कपूर 


मुंबई।  ऋषि, जिन्‍हें प्‍यार से लोग 'चिंटू जी' कहकर बुलाते थे, उनकी ख्‍वाहिश थी कि वह मरने से पहले एक बार पाकिस्‍तान जाकर अपनी पुश्‍तैनी जमीन को देखें। उनका जाना सिनेमाजगत के लिए एक बड़े झटके से कम नहीं है। 
अभी देश और बॉलीवुड एक्‍टर इरफान खान के जाने के गम से बाहर निकल भी नहीं पाया था कि एक और बुरी खबर आ गई। ऋषि कपूर की एक दिली ख्‍वाहिश थी, वह मरने से पहले एक बार पाकिस्‍तान जाना चाहते थे। साल 2017 ऋषि कपूर ने यह बात अपने ट्विटर पर लिखी थी, 'मरने से पहले मैं एक बार पाकिस्‍तान देखना चाहता हूं।' ऋषि ने यह ट्वीट तब किया था जब जम्‍मू कश्‍मीर के पूर्व मुख्‍यमंत्री फारूख अब्‍दुल्‍ला ने पीओके को लेकर एक बयान दिया था। 
अब्‍दुल्‍ला ने कहा था, 'पीओके, पाकिस्‍तान का है और इस बात को कोई नहीं बदल सकता है भले ही भारत और पाकिस्‍तान आपस में कितना ही लड़ लें।' इसके बाद ऋषि ने फारूख के इस बयान पर रजामंदी भी जताई थी। ऋषि ने ट्विटर पर लिखा, ' फारूख अब्‍दुल्‍ला जी सलाम! मैं आपसे रजामंद हूं। जम्‍मू कश्‍मीर हमारा है और पीओके उनका है। इसी तरह से हम इस समस्‍या को सुलझा सकते हैं। इसे स्‍वीकार करिए। मैं 65 साल का हूं और मरने से पहले एक बार पाकिस्‍तान देखना चाहता हूं। मरने से पहले मैं चाहता हूं कि मेरे बच्‍चे अपनी जड़ों से रूबरू हों। बस करवा दीजिए। जय माता दी!' 
आखिर ऐसा क्‍या था जो पाकिस्‍तान में जो वह एक बार उस मुल्‍क को देखने की दिली ख्‍वाहिश लिए जी रहे थे। दरअसल, बॉलीवुड की फर्स्‍ट फैमिली के तौर पर मशहूर कपूर परिवार का पाकिस्‍तान से गहरा नाता है। इस परिवार का एक घर पेशावर में हैं और इसका निर्माध सन् 1918 से 1922 के बीच दीवान बशेश्‍वरनाथ कपूर ने करवाया था। वह ऋषि कपूर के दादा पृथ्‍वीराज कपूर पिता थे। सन् 1947 में जब भारत और पाकिस्‍तान का बंटवारा हुआ तो कपूर खानदान पाकिस्‍तान से भारत आ गया। पेशावर के इस घर को 'कपूर हवेली' कहा गया और इसी हवेली में ऋषि के पिता और 'शोमैन' राजकपूर का जन्‍म सन् 1924 में हुआ। 
बंटवारे के बाद कपूर खान भारत में रहने और यहां पर शिक्षा हासिल करने के मकसद से आया था। कपूर हवेली इस समय पेशावर के एक रिहायशी इलाके में मौजूद है। सन् 1968 में निलामी में छारसड्डा के एक बिजनेसमैन ने खरीद लिया था। बाद में एक आपसी समझौते के बाद इसे पेशावर के नागरिक को बेंच दिया गया। इस हवेली को अब पाकिस्‍तान की आईएमजीसी ग्‍लोबल एंटरटेनमेंट ने म्‍यूजियम में तब्‍दील कर दिया है। हवेली को खैबर पख्‍तूनख्‍वां की सरकार की तरफ से आर्थिक मदद मिलती है।


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