रविवार, 23 फ़रवरी 2020

महात्मा गांधी के विचारों पर ‘‘सरोकार’’ विचार गोष्ठी का आयोजन

मुजफ्फरनगर । श्री राम गल्र्स काॅलेज में महात्मा गांधी के विचारों पर ‘‘सरोकार’’ विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध गांधीवादी चिन्तक और पर्यावरणविद् सोपान जोषी, तथा श्री राम ग्रुॅप आॅफ काॅलेजेज् के चैयरमेंन डाॅ0 एससी0 कुलश्रेष्ठ के द्वारा दीप प्रज्जवलित करके कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। कार्यक्रम में डाॅ. आर.एम. तिवारी, परमेन्द्र सिंह, डाॅ0 बी.के. मिश्र, प्रो.जे.पी. सविता, हरपाल सिंह अरुष, डाॅ. वीना गर्ग, सविता वर्मा, नेमपाल प्रजापति समेत अनेक बुद्धिजीवी उपस्थिति रहे।
सर्वप्रथम कार्यक्रम के संयोजक रोहित कौशिक ने ‘सरोकार’ के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए सोपान जोशी का परिचय प्रस्तुत किया। मुख्य अतिथि सोपान जोशी ने इस अवसर पर कहा कि हमें स्वयं से बाहर निकल कर जीवन के पास जाना होगा। बड़ा कलाकार वही है जो जोखिम उठाता है। कुछ नया करना है तो जोखिम उठाना ही होगा। अपने जीवन से जोखिम उठाकर ही हम आगे बढ़ पाएंगे। गांधी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ हमें जीवन जीने का तरीका सिखाती है। गांधी अंधेरे समय में हमें एक नई राह दिखाते है। ‘हिंसक समय में गांधी’ विषय पर बोलते हुए सोपान जोषी ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका के साथ-साथ भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में बड़ी संख्या में साधारण महिलाओं ने हिस्सा लिया। साधारण लोगों की वीरता हमें दिखाई नहीं देती लेकिन साधारण लोगों की वीरता के माध्यम से ही बदलाव सम्भव है। उन्होंने महात्मा गांधी को याद करते हुए कहा कि गांधी जीवन कला के साथ एक अद्भुत प्रयोग है। हमें यह सोचना होगा कि संकोची गांधी इतने निडर कैसे हो गए। अगर हमने यह सोच लिया तो हमें एक नया ज्ञान प्राप्त होगा। उन्होने कहा कि हम नया करना चाहते हैं लेकिन नए से हमें डर लगता है। दरअसल हम नकलची बंदर हैं। कुछ नया करने का सबसे ज्यादा रोमांच हमें गांधी में मिलेगा। गांधी की आलोचना करना बहुत आसान है लेकिन हमें यह समझना पड़ेगा कि गांधी जीवन एक बड़ा जोखिम हैं। 
श्री राम गल्र्स काॅलेज के प्राचार्य डाॅ0 मनोज धीमान ने गांधी की प्रासंगिकता पर बोलते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों के माध्यम से हम युवा पीढ़ी को नए तरीके से गांधी दर्शन पढ़ा सकते हैं। सोपान जोशी की पुस्तक ‘बापू की पाती’ पर केन्द्रित पोस्टर बनाने के लिए ललित कला विभाग के विद्यार्थी मोहम्मद खालिद, अनमोल त्यागी, श्रीकांत राही, छाया, कीर्ति, शिखा, सिद्धार्थ, अविनाश, गौरव और मेघा को सम्मानित किया गया। अन्त में मुजफ्फरनगर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार गिरिराज किशोर तथा राजबल त्यागी को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में ललित कला विभाग की विभागाध्यक्षा रूपल मलिक, रजनीकान्त, डाॅ आषीश गर्ग, डाॅ0 रविन्द्र धीमान, बिन्नू पुण्ड़ीर, अनु, रीना त्यागी, मीनाक्षी कानरान, नीशूदीप आदि प्रवक्तागण का योगदान रहा। 


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