मंगलवार, 2 नवंबर 2021

पुलिस ने चलाया चैकिंग अभियान


मुजफ्फरनगर । आगामी त्योहारों के दृष्टिगत जनपदीय पुलिस द्वारा चलाया गया सघन चेकिंग अभियान चलाया गया। 

त्योहारों के परिपेक्ष्य में जनपद में कानून व्यवस्था को सुद्रढ रखने व सुरक्षा के दृष्टिगत आज दिनांक 02.11.2021 को एंटी सेबोटाज चेक टीम व डॉग स्क्वाड द्वारा जनपदीय पुलिस व LIU टीम के साथ मिलकर जिला अस्पताल, कचहरी परिसर, नुमाइश कैम्प, मुख्य चौराहों, मार्किट एरिया एवं अन्य भीड भाड वाले स्थानों पर चैकिंग अभियान चलाया जा रहा है।अभियान के दौरान मेटल डिटेक्टर और डॉग स्क्वाड के जरिये संदिग्ध व्यक्ति/वाहन/सामान की चैकिंग की जा रही है तथा अनावश्यक खडे व्यक्तियों से पूछताछ भी की। साथ ही वहां मौजूद व्यक्तियों से अपील की गई कि कोई भी संदिग्ध व्यक्ति/वस्तु दिखने पर तत्काल पुलिस को सूचित करें।

दिवाली पर बिजली आपूर्ति अबाध सुनिश्चित करने के निर्देश


लखनऊ।उत्तर प्रदेश में इस बार बिजली की आपूर्ति बाधित न हो इसके लिए पावर कारपोरेशन ने खास इंतजाम किया है।पावर डिस्ट्रीब्यूशन डिपार्टमेंट ने सभी इंजीनियरों को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि फॉल्ट और ट्रांसफॉर्मर पर विशेष ध्यान दिया जाए।विभाग ने आगे कहा है कि अगर कहीं कोई दिक्कत हो, तो उसे तुरंत ठीक किया जाए, जिससे बिजली की आपूर्ति निर्बाध तरीके से चलती रहे।

प्राप्त जानकारी के अनुसार यूपी पावर कारपोरेशन के चेयरमैन एम. देवराज की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि यूपी में शहरों की तरह ग्रामीण क्षेत्रों में भी धनतेरस की सुबह से दीपावली के दूसरे दिन सुबह तक निर्बाध बिजली देने की व्यवस्था की जाए,अगर कहीं इस दौरान फॉल्ट की सूचना आए, तो तुरंत अभियंता ठीक करें।

आपको बता दें कि पावर कारपोरेशन ने पिछले दिनों कोयले की किल्लत को देखते हुए यूपी में शेड्यूल जारी किया था।इसके मुताबिक यूपी के गांवों में 21 घंटे तक बिजली सप्लाई करने की बात कही गई है।मगर अब ने निर्देश के मुताबिक 6 नवंबर तक यूपी में 24 घंटे तक बिजली आपूर्ति की जाएगी।

यूपी में कोयले की किल्लत की वजह से करीब 10000 मेगावाट कम बिजली की आपूर्ति हो रही है, जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों पीएम मोदी को पत्र भी लिखा था।यूपी में दीपावली पर बिजली को लेकर राजनीति भी हो चुकी है। 2017 के चुनाव में पीएम मोदी ने अपने चुनावी भाषण में इसका जिक्र किया था।भाजपा ने चुनावी वादों में भी दीपावली पर बिजली देने का वादा किया था।

इंटरनेशनल गुडविल सोसायटी द्वारा दीपावली मिलन का आयोजन

 



मुजफ्फरनगर ।इंटरनेशनल गुडविल सोसायटी द्वारा दीपावली मिलन का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि नरेंद्र बहादुर सिंह अपर जिलाधिकारी सतपाल पाल चेयरमैन कोऑपरेटिव सोसायटी अशोक कंसल पूर्व विधायक उपस्थित रहे संचालन होती लाल शर्मा महामंत्री ने किया संयोजक मनोहर लाल कालरा ने सबका आभार व्यक्त किया। प्रसिद्ध उद्योगपति आलोक स्वरूप, प्रसिद्ध समाजसेवी देवराज पंवार उपस्थिति रहे। गुडविल सोसायटी के अध्यक्ष सुरेंद्र अग्रवाल ने दीपावली की शुभकामनाएं दी

तीन बाइकचोर पकडे, सोलह बाइकें बरामद


मुजफ्फरनगर । थाना सिविल लाइन पुलिस ने बड़े गिरोह को दबोचकर चोरी की 16 मोटरसाइकिल बरामद की हैं । गिरोह के तीन अभियुक्त पुलिस ने गिरफ्तार किए हैं। गिरफ्तार अभियुक्तों पर दर्जनों मुकदमे दर्ज हैं। 2 आरोपी  फरार हो गए। फरार अभियुक्तों कि तलाश में दबिशें जारी हैं। गिरफ्तार अभियुक्तों से 2 तमंचे व कारतूस ओर एक चाकू बरामद किए हैं। दो पत्रकारों की चोरी हुई मोटरसाइकिल भी पुलिस ने की चोरों से बरामद की हैं। एसपी सिटी अर्पित विजयवर्गीय व सीओ सिटी कुलदीप कुमार सिंह ने किया प्रेस वार्ता में बड़ा खुलासा किया। थाना सिविल लाइन इंचार्ज बिजेंद्र सिंह रावत व उनकी टीम ने कि चोरी की मोटरसाइकिल बरामद की हैं ।
अभियुक्तगण जनपद मुजफ्फरनगर व आस-पास के जनपदों से वाहन चोरी करते थे तथा वाहनों को पार्किंग व अस्पताल जैसी भीडभाड वाली जगह पर खडी कर देते थे, पुलिस चैकिंग समाप्त होने के पश्चात अभियुक्त वाहनों को दूसरी जगह छिपा देते थे। अभियुक्तगण वाहनों की नम्बर प्लेट बदलकर दूर-दराज के गांव में मांग के अनुसार 05-07 हजार रुपये में बेच देते थे। 
गिरफ्तार अभियुक्तों के नाम अलकित पुत्र सुकेन्द्र निवासी अटेरना थाना सरधना, मेरठ, विपिन पुत्र धर्मपाल निवासी भमोरी थाना सरधना, मेरठ व सूरज पुत्र धीर सिंह निवासी अटेरना थाना सरधना, मेरठ हैं। उनके कब्जे से 16 चोरी की मोटरसाइकिल-विभिन्न कम्पनी की, दो तमंचे मय 05 जिन्दा कारतूस 315 बोर एवं 01 चाकू और दो मोबाइल फोन, ब्लूटूथ ईयरफोन आदि (अभियुक्तों द्वारा कुछ समय पूर्व जनपद मुजफ्फरनगर से अमेजन डिलवरी मेन की मोटरसाइकिल को भी चोरी किया गया था जिसमें डिलवरी का सामान भी था, उपरोक्त सामान उसी से सम्बन्धित है। गिरफ्तार अभियुक्त विपिन उपरोक्त पर वाहन चोरी, गैंगस्टर जैसी धाराओं में आधा दर्जन से अधिक अभियोग दर्ज है, अभियुक्तगण के अन्य आपराधिक इतिहास की जानकारी की जा रही है।

समाजसेवी राजकुमार जैन का निधन

 


मुजफ्फरनगर । अनेक सामाजिक संस्थाओं से जुड़े श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र वहलना प्रबंध समिति के महामंत्री राजकुमार जैन का निधन हो गया। वह काफी दिनों से बीमार चल रहे थे।
राजकुमार जैन लगातार एक महीने से दिल्ली हॉस्पिटल में एडमिट थे। वहीं उन्होंने अपना नश्वर शरीर त्यागा। उनके निधन पर मुजफ्फरनगर में शोक की लहर है। ओम टीआर न्यूज़ परमपिता परमात्मा से उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान देने की कामना करते हैं।

भारी मात्रा में नशीली दवाओं सहित तस्कर गिरफ्तार


मुजफ्फरनगर । तीन अवैध मादक पदार्थ तस्कर गिरफ्तार कर पुलिस ने भारी मात्रा में नशीली गोलियां व कैप्सूल बरामद किए हैं। 

थाना तितावी पुलिस द्वारा 03 अवैध मादक पदार्थ तस्कर अभियुक्तों को कल्याणकारी इण्टर कालेज बघरा के मैदान से गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार अभियुक्तगण के नाम:शौहेल पुत्र सोनी खान निवासी ग्राम गाऊमपुरा थाना मलेल कोटा जिला संगरूर पंजाब  कासिम पुत्र रफीकअहमद नि0 मौ0 खटीकान बघरा थाना तितावी मुजफ्फरनगर और शफीक अहमद पुत्र अब्दुल वहाब निवासी ग्राम सैदपुरा खुर्द थाना तितावी बताए गए हैं। उनके कब्जे से  904 नशीली गोलियां (ALPRAZOLAM TAB), 329 गोलियां (TRAMWEL TAB),105 कैप्सूल (TRAMWEL CAP) तथा 4 कैप्सूल (SPMPRX+WOCKHUT CAP) बरामद किए गए हैं। 

धनतेरस की कथा और पूजन विधि

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  पाँच दिन पाँच महापर्वो में पहला दिन 👇

                            "धनतेरस"

उत्तरी भारत में कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन यह पर्व पूरी श्रद्धा व विश्वास के साथ मनाया जाता है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वन्तरी का जन्म हुआ था। इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है।

         धन्वन्तरी जब प्रकट हुए थे, तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरी क्योंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। कहीं-कहीं लोकमान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है। इस अवसर पर लोग धनिया के बीज खरीद कर भी घर में रखते हैं। दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों में बोते हैं।

         धनतेरस के दिन चाँदी खरीदने की भी प्रथा है। अगर सम्भव न हो तो कोई बर्तन खरीदें। इसके पीछे यह कारण माना जाता है, कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है, जो शीतलता प्रदान करता है, और मन में संतोष रूपी धन का वास होता है। संतोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है। जिसके पास संतोष है, वह स्वस्थ है, सुखी है और वही सबसे धनवान है। भगवान धन्वन्तरि जो चिकित्सा के देवता भी हैं, उनसे स्वास्थ्य और सेहत की कामना के लिए संतोष रूपी धन से बड़ा कोई धन नहीं है। लोग इस दिन ही दीपावली की रात लक्ष्मी गणेश की पूजा हेतु मूर्ति भी खरीदते हैं।

         धनतेरस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आँगन में दीप जलाने की प्रथा भी है। इस प्रथा के पीछे एक लोक कथा है, कथा के अनुसार किसी समय में एक राजा थे, जिनका नाम हेम था। दैव कृपा से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। ज्योतिषियों ने जब बालक की कुण्डली बनाई, तो पता चला कि बालक का विवाह जिस दिन होगा, उसके ठीक चार दिन के बाद वह मृत्यु को प्राप्त होगा। राजा इस बात को जानकर बहुत दु:खी हुआ और राजकुमार को ऐसी जगह पर भेज दिया जहाँ किसी स्त्री की परछाई भी न पड़े। दैवयोग से एक दिन एक राजकुमारी उधर से गुजरी, और दोनों एक दूसरे को देखकर मोहित हो गये, और उन्होंने गन्धर्व विवाह कर लिया।

        विवाह के पश्चात विधि का विधान सामने आया, और विवाह के चार दिन बाद यमदूत उस राजकुमार के प्राण लेने आ पहुँचे। जब यमदूत राजकुमार प्राण ले जा रहे थे, उस वक्त नवविवाहिता उसकी पत्नी का विलाप सुनकर उनका हृदय भी द्रवित हो उठा परन्तु विधि के अनुसार उन्हें अपना कार्य करना पड़ा। यमराज को जब यमदूत यह कह रहे थे, उसी वक्त उनमें से एक ने यमदेवता से विनती की "हे यमराज ! क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है, जिससे मनुष्य अकाल मृत्यु से मुक्त हो जाए ?" दूत के इस प्रकार अनुरोध करने से यमदेवता बोले, "हे दूत ! अकाल मृत्यु तो कर्म की गति है। इससे मुक्ति का एक आसान तरीका मैं तुम्हें बताता हूँ, सो सुनो। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी रात जो प्राणी मेरे नाम से पूजन करके दीप माला दक्षिण दिशा की ओर भेट करता है, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।" यही कारण है कि लोग इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखते हैं।

           धनवंतरी के अलावा इस दिन, देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की भी पूजा करने की मान्यता है। कहा जाता है कि एक समय भगवान विष्णु मृत्युलोक में विचरण करने के लिए आ रहे थे तब लक्ष्मी जी ने भी उनसे साथ चलने का आग्रह किया। तब विष्णु जी ने कहा कि यदि मैं जो बात कहूँ तुम अगर वैसा ही मानो तो फिर चलो। तब लक्ष्मी जी उनकी बात मान ली और भगवान विष्णु के साथ भूमंडल पर आ गयीं।

          कुछ देर बाद एक जगह पर पहुँचकर भगवान विष्णु ने लक्ष्मी जी से कहा कि जब तक मैं न आऊँ तुम यहाँ ठहरो। मैं दक्षिण दिशा की ओर जा रहा हूँ, तुम उधर मत आना। विष्णुजी के जाने पर लक्ष्मी के मन में कौतूहल जागा कि आखिर दक्षिण दिशा में ऐसा क्या रहस्य है जो मुझे मना किया गया है और भगवान स्वयं चले गए। लक्ष्मी जी से रहा न गया और जैसे ही भगवान आगे बढ़े लक्ष्मी भी पीछे-पीछे चल पड़ीं। कुछ ही आगे जाने पर उन्हें सरसों का एक खेत दिखाई दिया जिसमें खूब फूल लगे थे। सरसों की शोभा देखकर वह मंत्रमुग्ध हो गईं और फूल तोड़कर अपना श्रृंगार करने के बाद आगे बढ़ीं। आगे जाने पर एक गन्ने के खेत से लक्ष्मी जी गन्ने तोड़कर रस चूसने लगीं। उसी क्षण विष्णु जी आए और यह देख लक्ष्मी जी पर नाराज होकर उन्हें शाप दे दिया कि मैंने तुम्हें इधर आने को मना किया था, पर तुम न मानी और किसान की चोरी का अपराध कर बैठी। अब तुम इस अपराध के जुर्म में इस किसान की 12 वर्ष तक सेवा करो। ऐसा कहकर भगवान उन्हें छोड़कर क्षीरसागर चले गए। तब लक्ष्मी जी उस गरीब किसान के घर रहने लगीं।

          एक दिन लक्ष्मीजी ने उस किसान की पत्नी से कहा कि तुम स्नान कर पहले मेरी बनाई गई इस देवी लक्ष्मी का पूजन करो, फिर रसोई बनाना, तब तुम जो माँगोगी मिलेगा। किसान की पत्नी ने ऐसा ही किया। पूजा के प्रभाव और लक्ष्मी की कृपा से किसान का घर दूसरे ही दिन से अन्न, धन, रत्न, स्वर्ण आदि से भर गया। लक्ष्मी ने किसान को धन-धान्य से पूर्ण कर दिया। किसान के 12 वर्ष बड़े आनन्द से कट गए। फिर 12 वर्ष के बाद लक्ष्मीजी जाने के लिए तैयार हुईं।

           विष्णुजी लक्ष्मीजी को लेने आए तो किसान ने उन्हें भेजने से इन्कार कर दिया। तब भगवान ने किसान से कहा कि इन्हें कौन जाने देता है, यह तो चंचला हैं, कहीं नहीं ठहरतीं। इनको बड़े-बड़े नहीं रोक सके। इनको मेरा शाप था इसलिए 12 वर्ष से तुम्हारी सेवा कर रही थीं। तुम्हारी 12 वर्ष सेवा का समय पूरा हो चुका है। किसान हठपूर्वक बोला कि नहीं अब मैं लक्ष्मीजी को नहीं जाने दूँगा। तब लक्ष्मीजी ने कहा कि हे किसान तुम मुझे रोकना चाहते हो तो जो मैं कहूँ वैसा करो। कल तेरस है। तुम कल घर को लीप-पोतकर स्वच्छ करना। रात्रि में घी का दीपक जलाकर रखना और सायंकाल मेरा पूजन करना और एक ताँबे के कलश में रुपए भरकर मेरे लिए रखना, मैं उस कलश में निवास करूँगी। किन्तु पूजा के समय मैं तुम्हें दिखाई नहीं दूँगी। इस एक दिन की पूजा से वर्ष भर मैं तुम्हारे घर से नहीं जाऊँगी। यह कहकर वह दीपकों के प्रकाश के साथ दसों दिशाओं में फैल गईं। अगले दिन किसान ने लक्ष्मीजी के कथानुसार पूजन किया। उसका घर धन-धान्य से पूर्ण हो गया। इसी वजह से हर वर्ष तेरस के दिन लक्ष्मीजी की पूजा होने लगी।


                              "पूजन विधि"


          धनतेरस की पूजा दीपावली के पहले कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान धन्वन्तरि की पूजा की जाती है साथ हीं यमराज के लिए घर के बाहर दीप जला कर रखा जाता है जिसे यम दीप कहते हैं। कहा जाता है की यमराज के लिए दीप जलने से अकाल मृत्यु का भय नष्ट हो जाता है। ऐसा कहा जाता है कि देवताओं और राक्षसों के बीच समुद्र मंथन के बाद, धनवंतरी जी, अमृत के कलश हाथ मे धारणकिये हुए समुद्र से बाहर आए थे । इस कारण धनतेरस को धनवंतरी जयंती भी कहा जाता है। धनतेरस के इस शुभ दिन पर, देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है और प्रार्थना की जाती है कि भकजनों पर माँ हमेशा समृद्धि और सुख की वर्षा करते रहे । इस दिन भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की मूर्तियों भी बाजार से खरीदी जाती है जिसका पूजन दीवाली के दिन किया जाता है।

          धनतेरस पूजा में सबसे पहले संध्या को यम दीप की पूजा की जाती है उसके बाद भगवान धन्वन्तरि की पूजा होती है और फिर गणेश लक्ष्मी की पूजा की जाती है।


                          यम दीप पूजन विधि


          चौकी को धो कर सुखा लें। उस चौकी के बीचोंबीच रोली घोल कर 卐(स्वास्तिक या सतिया) बनायें। अब इस 卐(स्वास्तिक या सतिया) पर सरसों तेल का दीपक (गेहूँ के आटे से बना हुआ) जलायें। उस दीपक में छेद वाली कौड़ी को डाल दें। अब दीपक के चारों ओर गंगा जल से तीन बार छींटा दें। अब हाथ में रोली लें और रोली से दीपक पर तिलक लगायें। अब रोली पर चावल लगायें। अब दीपक के अंदर थोड़ी चीनी/शक्कर डाल दें। अब एक रुपए का सिक्का दीपक के अंदर डाल दें। दीपक पर फूल समर्पित करें। सभी उपस्थित जन दीपक को हाथ जोड़कर प्रणाम करें - "हे यमदेव हमारे घर पे अपनी दयादृष्टि बनाये रखना और परिवार के सभी सदस्यों की रक्षा करना।" फिर सभी सदस्यों को तिलक लगाएँ। अब दीपक को उठा कर घर के मुख्य दरवाजे के बाहर दाहिनी ओर रख दे (दीपक का लौ दक्षिण दिशा की ओर होनी चाहिए)।


                        धन्वन्तरि पूजन विधि


यम दीप की पूजा के बाद धन्वन्तरि पूजा की जाती है।

          अब पूजा घर में बैठ कर धूप, दीप (घी का दिया मिट्टी की दिये में), अक्षत, चंदन और नैवेद्य के द्वारा भगवान धन्वन्तरि का पूजन करें। पूजन के बाद धन्वन्तरि के मंत्र का 108 बार जप करें:- “ॐ धं धन्वन्तरये नमः”

          जाप के पूर्ण करने के बाद दोनों हाथों को जोड़कर प्रार्थना करें कि - “हे भगवान धन्वन्तरि ये जाप मैं आपके चरणों में समर्पित करता हूँ। कृप्या हमें उत्तम स्वास्थ प्रदान करे।“ 

         धन्वन्तरि की पूजा हो जाने पर अंत में  लक्ष्मीजी का घी का दीपक जला कर पूजन करें ताकि श्रीलक्ष्मीजी की कृपा अदृश्य रूप में आपके घर परिवार पर वर्षभर बनी रहे।


                           आवश्यक सामग्री:-


          एक आटे का दीपक,तीन मिट्टी के दीपक (धन्वन्तरि, यम और लक्ष्मी जी के लिये), बत्ती रूई की, सरसों का तेल/घी, माचिस, एक छेद वाली कौड़ी, फूल, चावल, रोली, गंगाजल, चम्मच, चीनी/शक्कर, आसन, मिठाई/नैवैद्य, धूप और धूपदान 

पंडित नीरज कुमार शर्मा

एसडी इंजीनियरिंग में मनाया दीपोत्सव


मुज़फ्फरनगर। एस डी इंजीनियरिंग एंड टैक्नोलॉजी संस्थान के सभागार में दीपोत्सव कार्यक्रम वरिष्ठ साहित्यकार ड़ा ए कीर्तिवर्धन  के संयोजन में आयोजित किया गया । कार्यक्रम दो चरणों में रखा गया । प्रथम चरण में आचार्य महेंद्र जी ,  ड़ा ए कीर्तिवर्धन , ड़ा एस एन चौहान डायरेक्टर संस्थान, प्राचार्य ड़ा अरविंद गौतम ,जड़ौदा कालिज के प्राचार्य प्रवेंद्र दाहिया और शिक्षाविद ड़ा अलका जैन , विशिष्ट अथिति ड़ा रणबीर सिंह का विषयक संबोधन हुआ । संचालन रामकुमार शर्मा रागी और कवियत्री सुमन युगल द्वारा अलग अलग चरण में किया गया ।फर्रुखाबाद के जिला जज श्री ब्रजेश कुमार त्यागी जी पूरे कार्यक्रम में उपस्थित रहे ।

दूसरे चरण में कवि सम्मेलन कार्यक्रम कवि रामकुमार शर्मा रागी की अध्यक्षता में हुआ जिसमें  रुड़की से विनीत भारद्वाज व ड़ा रश्मि और रामकुमार , नजीबाबाद से  प्रमोद कुमार प्रेम , मुज़फ्फरनगर से गज़लकार प्रतिभा त्रिपाठी ,  कवियत्री सुमन युगल ,पंकज शर्मा ,राहुल वशिष्ठ , जिंतेंद्र पांडे , कवियत्री प्रगति शर्मा ने प्रतिभाग किया । सभी प्रतिभागी रचनाकारों ने एक से बढ़कर एक रचना पेश करके श्रोताओं के मन को मोह लिया ।

इस शानदार और गरिमापूर्ण कार्यक्रम में प्रथम चरण और द्वितीय चरण के सभी प्रतिभागियों को प्रतीक चिन्ह और माला पटके के साथ सम्मानित किया गया । ड़ा ए कीर्तिवर्धन ने बेहद अनुशासित और समय की प्रतिबद्धता के साथ कार्यक्रम को पूरी ऊंचाइयों के साथ संपन्न कराया। 

भगवान धन्वंतरि का अवतरण दिवस है धनतेरस

 धनतेरस

दीपावली पर्व कि बात करने से पहले कुछ बात धनतेरस यानी धन्वन्तरी त्रयोदशी के बारे में भी बता दूँ। पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के समय अमृत कलश धारण किये भगवान धन्वन्तरी प्रकट हुए थे | भगवान धन्वन्तरी ही आयुर्वेद के जनक कहे जाते हैं और यह ही देवताओं के वैध भी माने जाते हैं | कार्तिक कृषना त्रयोदशी उन्ही भगवान धन्वन्तरी का जन्म दिवस है जिसे बोलचाल की भाषा में धनतेरस कहते हैं |  सभी सनातन धर्म के अनुयायी भगवान धन्वन्तरी जी के प्रति इस दिन आभार प्रकट करते हैं | भगवान धन्वन्तरी का गूढ़ वाक्य आज भी आयुर्वेद में प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है----

"यस्य देशस्य यो जन्तुस्तज्जम तस्यौषधं हितं |

अर्थात जो प्राणी जिस देश व परिवेश  में उत्पन्न हुआ है उस देश कि भूमि व जलवायु में पैदा जड़ी- बूटियों से निर्मित औषध ही उसके लिए लाभकारी होंगी |

इस गूढ़ रहस्य को हमारे मनीषियों ने समझा और उसी के संकल्प का दिन है धनतेरस। यह अलग बात है कि अनेक कारणों से वर्तमान में आयुर्वेद का प्रचार -प्रसार धीमा पड़ गया है | इस धनतेरस पर हम संकल्प लें कि भगवान धन्वन्तरी जी द्वारा स्थापित आयुर्वेद चिकित्सा का यथा संभव प्रचार-प्रसार एवं संरक्षण कर सुखी, समृद्ध राष्ट्र का निर्माण करें |  आज ही के दिन प्रदोष काल में  यम के लिए दीप दान एवं नैवेध अर्पण करने का प्रावधान है | कहा जाता है कि ऐसा करने से अकाल मृत्यु से रक्षा होती है | मानव जीवन को अकाल मृत्यु से बचाने के लिए दो वस्तुएं ही आवश्यक हैं --प्रकाश  = ज्ञान तथा नैवेध = समुचित खुराक|

यदि यह दोनों वस्तुएं प्रचुर मात्र में दान दी जाएँ तो निश्चय  ही देशवासी अकाल मृत्यु से बचे रहेंगे।


अ कीर्ति वर्द्धन

महालक्ष्मी एनक्लेव 

मुजफ्फरनगर

धन तेरस पर करेंगे ये मिलेगा आरोग्य और सुख समृद्धि

 2 नवंबर 2021 मंगलवार धनत्रयोदशी

आज के दिन धनवंतरी जी का पूजन करना चाहिए धनवंतरी जी की उत्पत्ति समुद्र मंथन के समय हुई थी यह देवताओं के वैद्य है। धन के देवता कुबेर का भी आज के दिन पूजन किया जाता है घर में आज के दिन सोने चांदी अथवा पीतल के नए बर्तन खरीदने का विधान है। नहीं संभव हो तो स्टील आदि के भी ले सकते हैं। आज के दिन नई वस्तु खरीदने से घर में सुख सौभाग्य की वृद्धि होती है। ऐसा माना जाता है.शाम के समय घर के बाहर चार मुंह का सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित करना चाहिए। इससे अकाल मृत्यु आदि का भय समाप्त होता है।



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