शुक्रवार, 17 अप्रैल 2020

लॉकडाउन के बीच वीडियो कॉल पर हो गया निकाह 

बुलंदशहर। लॉकडाउन पर शादी-विवाह पर भले ही ब्रेक लगा हो। लेकिन कुछ ऐसे युगल भी हैं जो लॉकडाउन को दरकिनार कर टैक्नालॉजी के इस दौर में आनलाइन और वीडियो कॉलिग के माध्यम से ही एक-दूसरे के हो रहे हैं। ऐसा ही एक मामला जिले में सामने आया जब लॉकडाउन के बीच एक-दूसरे से करीब 50 किमी दूर बैठे दूल्हा-दुल्हन ने विडियो कॉल पर निकाह किया। काजी ने भी मोबाइल पर ही वीडियो कॉलिंग के माध्यम से ही निकाह भी पढवाया। जिले के जारचा की रहने वालीं आसमां ने खुर्जा के आरिफ को वीडियो कॉल के माध्यम से ही अपनी जिंदगी का हमसफर बनाया। विडियो कॉल पर ही काजी ने निकाह पढ़वाया। 
लॉकडाउन से पहले ही 16 अप्रैल को दोनों का निकाह तय था। बारात ले जाने की तैयारियां भी पूरी हो चुकी थीं। निकाह में शरीक होने के लिए दावत भी दी जा चुकी थी। इसी बीच लॉकडाउन हो गया। फिर आरिफ ने सभी दोस्तों-रिश्तेदारों को आने से मना कर दिया। पिता,एक वकील, 2 गवाह और काजी को बुलाकर आरिफ ने घर से विडियो कॉल पर आसमां को जोड़ा। विडियो कॉल पर ही आसमां ने निकाह कबूल किया। आरिफ की ओर से साढ़े 3 किलो चांदी मेहर के तौर पर दी गई, जिसे आसमां ने कबूल कर लिया। इस दौरान जो भी निकाह में शामिल रहे उन्होंने सोशल डिस्टेंस का पूरा पालन किया। वीडियो कॉलिंग के माध्यम से निकाह हो जाने के बाद दोनों ही बहुत खुश हैं। आसमां ने बताया कि निकाह की बाकी की रस्में अब लॉकडाउन खुलने के बाद पूरी होगी। मुख्य रस्में तो निभा दी गई हैं।


25 किलोमीटर पैदल चलकर प्रेमी से मिलने मुजफ्फरनगर पहुंची प्रेम दीवानी

मुजफ्फरनगर। कहते हैं इश्क पर जोर नहीं तभी तो प्रेमी से मिलने की चाह में प्रेमिका की राह में लॉक-डाउन बाधा नहीं बना और वह  आधी रात को भोपा थाना क्षेत्र से नहर की पटरी होते हुए 25 किलोमीटर का रास्ता तय कर वह प्रेमी के घर पहुंच गई। थाने में युवती काफी देर तक निकाह की जिद पर अड़ी रही। 
एक युवक बस चालक है। उसका भोपा गांव में आना जाना है। करीब आठ साल से उसका वहां की एक युवती से प्रेम प्रसंग चल रहा है। अचानक लॉक-डाउन हो गया और कस्बे को सील कर दिया गया तो युवक घर में कैद हो गया। प्रेमिका ने जब मिलने की जिद की तो प्रेमी ने लॉक-डाउन का हवाला देते हुए मना कर दिया। इस पर प्रेमिका बुधवार आधी रात को पैदल ही भोपा से चलकर कस्बे में प्रेमी के घर पहुंच गई। कुंडी खटखटाई तो जाग होने पर हंगामा हो गया। युवती वहां से प्रेमी के साथ रात में ही थाने पहुंची और निकाह की जिद करने लगी।


किसान निधि की सालाना राशि ₹6000 को बढ़ाकर ₹12000 करने की मांग

मुज़फ्फरनगर| राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक चौधरी ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री किसान निधि की सालाना राशि ₹6000 को बढ़ाकर ₹12000 करने और  किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने व ब्याज दर 1% करने के साथ-साथ किसानों के सभी प्रकार के कर्ज पर वसूली एक वर्ष के लिए स्थगित करने की मांग की है|
आज जारी बयान में श्री चौधरी ने कहा कि लॉकडाउन बढ़ने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को लेकर किसान परेशान है क्योंकि पहले बे मौसम बारिश, ओलावृष्टि और आंधी की मार के बाद अब कोरोना वायरस के प्रकोप से किसान बर्बादी के कगार पर है| किसानों को मजदूर न मिलने और बंदी के कारण फसल को मंडियों तक पहुंचाने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है| ऐसे में अगर किसानों और मजदूरों के लिए विशेष पैकेज की व्यवस्था ना की गई तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा जाएगी|
 उन्होंने कहां कि देश की मजबूती के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मजबूत होना बहुत आवश्यक है| 
उन्होंने कहा की बाजार में कच्चा तेल सस्ता होने के बावजूद डीजल व रासायनिक उर्वरक के दाम सस्ते हो जाने चाहिए थे परन्तु दाम कम नही हुए सरकार किसानों की बेहतरी के लिए डीजल भाव में 10 रुपये प्रति लीटर एवं पोटाश और डीएपी खाद पर 25% की छूट की घोषणा करें तथा रवी की सारी फसलों की सरकारी खरीद करने के साथ-साथ 200रुपये प्रति क्विंटल बोनस भी देने की घोषणा करें |उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के चलते गन्ना व दूध किसान दोनों की स्थिति दयनीय हो गई है होटल रेस्टोरेंट बंद  और शादी समारोह स्थगित हो जाने के कारण किसानों का दूध बिक नहीं पा रहा है और गन्ना खेतों में ही खड़ा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय हो रही है,उन्होंने सरकार से किसानों के दूध व गन्ने की सरकारी खरीद कराने की मांग करते हुए कहा कि सरकार गन्ना किसानों का बकाया 15000 करोड रुपए का भुगतान भी अविलंब कराने की व्यवस्था करें|


नासिक से आया युवक पुलिस देख फरार


टीआर ब्यूरो।


मुजफ्फरनगर। महाराष्ट्र में रहकर नौकरी करने वाले युवक के रात्रि में घर आने की सूचना पर जब पुलिस जाँच के लिए पहुंची तो पुलिस देखकर युवक छत से कूदकर फरार हो गया। पुलिस ने युवक के सुबह तक भी वापिस नही आने पर उसके घर होम क्वारन्टीन का नोटिस चस्पा कर दिया।


मीरापुर के मोहल्ला दरबार निवासी युवक अम्मान पुत्र अहसान(20 वर्ष) महाराष्ट्र के नासिक में रहकर मीरापुर के एक फल सब्जी व्यापारी के यहाँ नौकरी करता है। काफी दिनों से वही रह रहा था। गुरुवार की रात्रि उक्त युवक उक्त सब्जी व्यापारी की टमाटर की गाड़ी में बैठकर मीरापुर अपने घर आ गया। युवक अम्मान के महाराष्ट्र से घर पहुँचने की सूचना किसी ने पुलिस को दे दी। जिस पर युवक की जांच कराने के लिए मीरापुर पुलिस उसके घर पहुँच गई। घर पर पुलिस को देखते ही युवक के होश उड़ गए और युवक अम्मान पुलिस को देखकर बिना जाँच कराए छत से सड़क के दूसरी ओर कूदकर वहाँ से फरार हो गया। परिजन कुछ समय तक पुलिस को भ्रमित करते रहे। जब काफी देर हो गयी तो पुलिस को एक पड़ोसी ने युवक के छत से कूदकर भागने की बात बताई। पुलिस सवेरे युवक को थाने भेजने की बात कहकर वापिस लौट आई। जब युवक सुबह भी थाने नही पहुंचा तो पुलिस पुनः युवक के घर पहुँची और युवक 14 दिन तक घर मे ही होम क्वारन्टीन होने का नोटिस चस्पा कर आई।
परिजनों ने पुलिस को बताया कि युवक तो रात्रि में ही महाराष्ट्र वापिस चला गया। इसके बावजूद भी पुलिस नोटिस चस्पा कर वापिस लौट आई। कस्बा इंचार्ज जितेन्द्र शर्मा ने बताया ही युवक के अन्य प्रदेश से आने की सूचना मिली थी जिस पर पुलिस वहाँ पहुँची थी। युवक छत के रास्ते भाग निकला। फिलहाल नोटिस चस्पा कर दिया गया है।अगर युवक आता है तो उसे 14 दिन के लिए घर के अन्दर क्वारन्टीन रहना होगा।


अंतरराष्ट्रीय चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन और मास्क वितरण

मुजफ्फरनगर। जैन डिग्री कन्या पाठशाला स्नातकोत्तर महा विद्यालय की प्राचार्य डॉक्टर सीमा जैन के निर्देशन में एक अंतरराष्ट्रीय चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन डॉक्टर निशा गुप्ता व डॉक्टर वंदना वर्मा के द्वारा कराया जा रहा है जिसमें देश के विभिन्न राज्यों के अतिरिक्त देश के बाहर से भी पेंटिंग आ रही है इस प्रतियोगिता में भाग लेने की अंतिम तिथि 30 4 2020 है प्रतियोगिता का विषय रुकेविन 19रु  है अभी तक लगभग 200  प्रविष्टिया आ चुकी हैं महाविद्यालय की ओर से भी एक अभियान कोरोना भगाओ देश बचाओ काफी तेजी से चलाया जा रहा है जिसमें हजारों छात्राएं अपने घर पर मास्क बनाकर आसपास के घरों में निशुल्क वितरित कर रही हैं तथा कोरोना महामारी से बचने के उपाय बताकर अपने आसपास के लोगों को जागरूक भी कर रही हैं सोशल मीडिया का इस्तेमाल कोरोना महामारी से बचने के लिए जागरूकता बढ़ाने के लिए तेजी से छात्राओं द्वारा किया जा रहा है। डाक्टर वंदना वर्मा व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से प्रतिदिन समस्त छात्राओं से उनके दिन भर के कार्यों की समीक्षा दिन में 2 बार करती है।  छात्राओं को विभिन्न श्रेणियों में कर अलग अलग व्हाट्सएप ग्रुप्स से कार्य बताएं जाते है। जनपद में इस कार्य को काफी सराहा जा रहा है
मुजफ्फरनगर ही नहीं पूरे जनपद के लोग जागरूक होकर अपने परिवार का ध्यान रखें इसीलिए प्रत्येक छात्रा को लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया है कि वह अपने समस्त रिश्तेदारों को दोस्तों को व सामाजिक दायरे में सभी को सोशल मीडिया के द्वारा कोरोना महामारी  से जागरूक करने के लिए अभियान चलाए रखें मुजफ्फरनगर शहर में ब्रह्मपुरी टाउन हॉल सरवट फाटक खालापार (एनआर टावर) दक्षिणी सिविल लाइन जाट कॉलोनी शिवलोक कॉलोनी के साथ-साथ जनपद के विभिन्न गांव बाननगर रोहाना मंसूरपुर में भी अभियान चलाया जा रहा है जागरूक छात्राएं आरुषि टिम्सी ईशा शगुफ्ता माहएनूर फरहा इकरा इरम प्रज्ञा निशू शिवानी रूपलता आदि छात्राएं मास्क वितरण में अग्रिम भूमिका निभा रही है


मुजफ्फरनगर निल, देवबंद में सात जमाती मिले पाॅजिटिव

मुजफ्फरनगर। जिले में आज 21 सैम्पल की आई सभी रिपोर्ट  नेगेटिव मिली हैं। हालांकि अभी 143 सेम्पल की रिपोर्ट आना बाकी हैं। वही  सहारनपुर में आज फिर 7 कोरोना पॉजिटिव पाए, सभी मूलरूप से गुजरात के जमाती हैं। सातों जमातियों को  देवबंद में किया गया था क्वॉरेंटाइन किया गया था। इन्हें मिलाकर सहारनपुर में अब हुए 51 कोरोना पॉजिटिव मिल चुके हैं। उपजिलाधिकारी  के आदेशानुसार आज से पूरा देवबंद नगर पूरी तरह सील कर दिया गया है।  आज से देवबंद में किरयाना सहित सभी दुकाने पूरी तरह बंद रहेगी। पूर्व में जारी सभी पास तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिए गए है।


उत्तर प्रदेश में 20 अप्रैल से खुलेंगे सरकारी दफ्तर, शर्तों के साथ काम करेंगे कर्मचारी 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार  ने लॉकडाउन के दौरान कामकाज को गति देने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। पहले 11 उद्योंगों को अनुमति देने के बाद अब योगी आदित्यनाथ  सरकार ने कहा है कि 20 अप्रैल से राज्य में ज्यादातर सरकारी दफ्तर खोले जाएंगे। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाएगा और कुछ शर्तों के साथ ही कर्मचारी काम करेंगे।
21 दिन का लॉकडाउन खत्म होते ही यूपी सरकार के मंत्रियों ने भी कामकाज शुरू कर दिया है और वे अपने दफ्तरों में बैठने लगे हैं। इन 21 दिनों में जो फाइलें रुकी हुई हैं, पहले उनको निपटाने का काम चल रहा है। इसके अलावा जॉइंट सेक्रेटरी और उससे ऊपर की रैंक के अधिकारी भी अपने दफ्तरों में आने लगे हैं।
सरकार के आदेश के मुताबिक, 20 अप्रैल से पुलिस होमगार्ड, सिविल डिफेन्स, अग्निशमन, इमरजेंसी सर्विसेज, आपदा प्रबंधन, जेल और नगर निकाय के कर्मचारी बिनी किसी प्रतिबंध के पहले की तरह की काम करते रहेंगे। इसके अलावा सभी विभागो के चीफ और समूह 'क' और 'ख' के सभी अधिकारी भी ऑफिस में मौजूद रहेंगे। 
सरकार ने यह भी कहा है कि हर दिन समूह 'ग' और 'घ' के कम से कम 33 प्रतिशत कर्मचारियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए रोस्टर बनाया जाएगा। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य सुरक्षा उपायों का ध्यान रखा जाएगा। घर से काम कर रहे लोग मोबाइल को कंप्यूटर के जरिए संपर्क में रहेंगे और जरूरत पड़ने पर उन्हें दफ्तर बुलाया जा सकता है।
उत्तर प्रदेश सरकार के अडिशनल चीफ सेक्रेटरी (गृह) अवनीश अवस्थी ने बताया कि सब रजिस्ट्रार के ऑफिस खोल दिए हैं और रजिस्ट्री का काम अब धीरे-धीरे शुरू हो रहा है। साथ ही सरकार ने कहा है कि नाला सफाई जैसी अन्य परियोजनाओं के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया पूरी करने के आदेश दिए गए हैं। 
इससे पहले योगी सरकार ने 20 अप्रैल से 11 उद्योगों के संचालन को मंजूरी दी है। यह मंजूरी सशर्त है और शर्तों के उल्लंघन पर कार्रवाई हो सकती है। इसके अलावा कोरोना हॉटस्पॉट घोषित क्षेत्रों में पड़ने वाले इन उद्योगों पर यह आदेश नहीं लागू होगा। योगी सरकार ने स्टील, रिफाइनरी, सीमेंट, रसायन, उर्वरक के उद्योगों को चलाने की अनुमति दी है।
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने इसको लेकर एक आदेश जारी किया है और सभी संबंधित अधिकारियों को इस बारे में निर्देशित किया है। योगी सरकार ने स्टील, रिफाइनरी, सीमेंट, रसायन, उर्वरक के उद्योगों को चलाने की अनुमति दी है। इसके अलावा पेपर, टायर, चीनी मिलों, कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट, वस्त्र उद्योग (परिधान को छोड़कर) और फाउंड्रीज को भी शुरू करने की अनुमति दी है।



कोटा में फंसे 7500 कोचिंग छात्रों को लाने के लिए योगी ने भेजी 247 रोडवेज बसें

लखनऊ। राजस्थान के कोटा में फंसे इंजिनियरिंग व मेडिकल की कोचिंग करने वाले यूपी के करीब 7500 छात्रों का वापस लाने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने अफसरों को निर्देश दिए हैं। शुक्रवार दोपहर तक उन्हें वापस लाने के लिए 247 रोडवेज बसें चलाने की तैयारी की जा चुकी है। शनिवार को ये बसें लॉकडाउन के दौरान छात्रों को लेकर लौटेंगी।
राजस्थान सरकार ने अपने यहां फंसे छात्रों को वापस बुलाने के लिए सभी राज्य सरकारों को परमिट देने का भरोसा दिया है। जिस पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने यूपी के छात्रों को वापस बुलाने का तुरंत निर्णय करते हुए रोडवेज के एमडी राज शेखर को बसों का प्रबंध करने के निर्देश दिए। एमडी ने सीजीएम (आपरेशन) राजेश वर्मा व सीजीएम (टेक्निकल) जयदीप वर्मा को बसों का प्रबंध करके कोटा भेजने की जिम्मेदारी सौंपी है। सीजीएम ने आगरा, अलीगढ़ व इटावा के रीजनल मैनेजरों व सर्विस मैनेजरों को बसों का प्रबंध करके कोटा भेजने के आदेश दिए हैं। 
आगरा परिक्षेत्र के फोर्ड डिपो से 20, फाउंड्रीनगर डिपो से 15, ईदगाह डिपो से 30, ताज डिपो से 20, मथुरा डिपो से नौ व बाह डिपो से छह बसें मिलाकर कुल 100 बसें भेजी जा रही हैं। वहीं अलीगढ़ क्षेत्र के बुद्धविहार डिपो से 15, अलीगढ़ डिपो से 10, हाथरस डिपो से 17, कासगंज व एटा डिपो से 15-15 बसें मिलाकर कुल 72 बसें रवाना की जा रही हैं। जबकि इटावा क्षेत्र के बेवर डिपो से पांच, छिबरामऊ से तीन, मैनपुरी डिपो से सात, इटावा, औरैय्या, शिकोहाबाद व फर्रुखाबाद डिपो से 15-15 बसें मिलाकर कुल 75 बसें भेजी जा रही हैं 


14 वर्ष के वनवास में राम कहां-कहां रहे?


प्रभु श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास हुआ। इस वनवास काल में श्रीराम ने कई ऋषि-मुनियों से शिक्षा और विद्या ग्रहण की, तपस्या की और भारत के आदिवासी, वनवासी और तमाम तरह के भारतीय समाज को संगठित कर उन्हें धर्म के मार्ग पर चलाया। संपूर्ण भारत को उन्होंने एक ही विचारधारा के सूत्र में बांधा, लेकिन इस दौरान उनके साथ कुछ ऐसा भी घटा जिसने उनके जीवन को बदल कर रख दिया।
रामायण में उल्लेखित और अनेक अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार
 जब भगवान राम को वनवास हुआ तब उन्होंने अपनी यात्रा अयोध्या से प्रारंभ करते हुए रामेश्वरम और उसके बाद श्रीलंका में समाप्त की। इस दौरान उनके साथ जहां भी जो घटा उनमें से 200 से अधिक घटना स्थलों की पहचान की गई है।
जाने-माने इतिहासकार और पुरातत्वशास्त्री अनुसंधानकर्ता डॉ. राम अवतार ने श्रीराम और सीता के जीवन की घटनाओं से जुड़े ऐसे 200 से भी अधिक स्थानों का पता लगाया है, जहां आज भी तत्संबंधी स्मारक स्थल विद्यमान हैं, जहां श्रीराम और सीता रुके या रहे थे। वहां के स्मारकों, भित्तिचित्रों, गुफाओं आदि स्थानों के समय-काल की जांच-पड़ताल वैज्ञानिक तरीकों से की। आईये जानते हैं कुछ प्रमुख स्थानों के बारे में…


पहला पड़ाव…
1.केवट प्रसंग : राम को जब वनवास हुआ तो वाल्मीकि रामायण और शोधकर्ताओं के अनुसार वे सबसे पहले तमसा नदी पहुंचे, जो अयोध्या से 20 किमी दूर है। इसके बाद उन्होंने गोमती नदी पार की और प्रयागराज (इलाहाबाद) से 20-22 किलोमीटर दूर वे श्रृंगवेरपुर पहुंचे, जो निषादराज गुह का राज्य था। यहीं पर गंगा के तट पर उन्होंने केवट से गंगा पार करने को कहा था।
‘सिंगरौर’ : इलाहाबाद से 22 मील (लगभग 35.2 किमी) उत्तर-पश्चिम की ओर स्थित ‘सिंगरौर’ नामक स्थान ही प्राचीन समय में श्रृंगवेरपुर नाम से परिज्ञात था। रामायण में इस नगर का उल्लेख आता है। यह नगर गंगा घाटी के तट पर स्थित था। महाभारत में इसे ‘तीर्थस्थल’ कहा गया है।
‘कुरई’ : इलाहाबाद जिले में ही कुरई नामक एक स्थान है, जो सिंगरौर के निकट गंगा नदी के तट पर स्थित है। गंगा के उस पार सिंगरौर तो इस पार कुरई। सिंगरौर में गंगा पार करने के पश्चात श्रीराम इसी स्थान पर उतरे थे।
इस ग्राम में एक छोटा-सा मंदिर है, जो स्थानीय लोकश्रुति के अनुसार उसी स्थान पर है, जहां गंगा को पार करने के पश्चात राम, लक्ष्मण और सीताजी ने कुछ देर विश्राम किया था।


दूसरा पड़ाव…
2.चित्रकूट के घाट पर : कुरई से आगे चलकर श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सहित प्रयाग पहुंचे थे। प्रयाग को वर्तमान में इलाहाबाद कहा जाता है। यहां गंगा-जमुना का संगम स्थल है। हिन्दुओं का यह सबसे बड़ा तीर्थस्थान है। प्रभु श्रीराम ने संगम के समीप यमुना नदी को पार किया और फिर पहुंच गए चित्रकूट। यहां स्थित स्मारकों में शामिल हैं, वाल्मीकि आश्रम, मांडव्य आश्रम, भरतकूप इत्यादि।
चित्रकूट वह स्थान है, जहां राम को मनाने के लिए भरत अपनी सेना के साथ पहुंचते हैं। तब जब दशरथ का देहांत हो जाता है। भारत यहां से राम की चरण पादुका ले जाकर उनकी चरण पादुका रखकर राज्य करते हैं।


तीसरा पड़ाव…
3.अत्रि ऋषि का आश्रम : चित्रकूट के पास ही सतना (मध्यप्रदेश) स्थित अत्रि ऋषि का आश्रम था। महर्षि अत्रि चित्रकूट के तपोवन में रहा करते थे। वहां श्रीराम ने कुछ वक्त बिताया। अत्रि ऋषि ऋग्वेद के पंचम मंडल के द्रष्टा हैं। अत्रि ऋषि की पत्नी का नाम है अनुसूइया, जो दक्ष प्रजापति की चौबीस कन्याओं में से एक थी।
अत्रि पत्नी अनुसूइया के तपोबल से ही भगीरथी गंगा की एक पवित्र धारा चित्रकूट में प्रविष्ट हुई और ‘मंदाकिनी’ नाम से प्रसिद्ध हुई। ब्रह्मा, विष्णु व महेश ने अनसूइया के सतीत्व की परीक्षा ली थी, लेकिन तीनों को उन्होंने अपने तपोबल से बालक बना दिया था। तब तीनों देवियों की प्रार्थना के बाद ही तीनों देवता बाल रूप से मुक्त हो पाए थे। फिर तीनों देवताओं के वरदान से उन्हें एक पुत्र मिला, जो थे महायोगी ‘दत्तात्रेय’। अत्रि ऋषि के दूसरे पुत्र का नाम था ‘दुर्वासा’। दुर्वासा ऋषि को कौन नहीं जानता?
अत्रि के आश्रम के आस-पास राक्षसों का समूह रहता था। अत्रि, उनके भक्तगण व माता अनुसूइया उन राक्षसों से भयभीत रहते थे। भगवान श्रीराम ने उन राक्षसों का वध किया। वाल्मीकि रामायण के अयोध्या कांड में इसका वर्णन मिलता है।
प्रातःकाल जब राम आश्रम से विदा होने लगे तो अत्रि ऋषि उन्हें विदा करते हुए बोले, ‘हे राघव! इन वनों में भयंकर राक्षस तथा सर्प निवास करते हैं, जो मनुष्यों को नाना प्रकार के कष्ट देते हैं। इनके कारण अनेक तपस्वियों को असमय ही काल का ग्रास बनना पड़ा है। मैं चाहता हूं, तुम इनका विनाश करके तपस्वियों की रक्षा करो।’
राम ने महर्षि की आज्ञा को शिरोधार्य कर उपद्रवी राक्षसों तथा मनुष्य का प्राणांत करने वाले भयानक सर्पों को नष्ट करने का वचन देकर सीता तथा लक्ष्मण के साथ आगे के लिए प्रस्थान किया।
चित्रकूट की मंदाकिनी, गुप्त गोदावरी, छोटी पहाड़ियां, कंदराओं आदि से निकलकर भगवान राम पहुंच गए घने जंगलों में…


चौथा पड़ाव,
4. दंडकारण्य : अत्रि ऋषि के आश्रम में कुछ दिन रुकने के बाद श्रीराम ने मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के घने जंगलों को अपना आश्रय स्थल बनाया। यह जंगल क्षेत्र था दंडकारण्य। ‘अत्रि-आश्रम’ से ‘दंडकारण्य’ आरंभ हो जाता है। छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों पर राम के नाना और कुछ पर बाणासुर का राज्य था। यहां के नदियों, पहाड़ों, सरोवरों एवं गुफाओं में राम के रहने के सबूतों की भरमार है। यहीं पर राम ने अपना वनवास काटा था। यहां वे लगभग 10 वर्षों से भी अधिक समय तक रहे थे।
‘अत्रि-आश्रम’ से भगवान राम मध्यप्रदेश के सतना पहुंचे, जहां ‘रामवन’ हैं। मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ क्षेत्रों में नर्मदा व महानदी नदियों के किनारे 10 वर्षों तक उन्होंने कई ऋषि आश्रमों का भ्रमण किया। दंडकारण्य क्षेत्र तथा सतना के आगे वे विराध सरभंग एवं सुतीक्ष्ण मुनि आश्रमों में गए। बाद में सतीक्ष्ण आश्रम वापस आए। पन्ना, रायपुर, बस्तर और जगदलपुर में कई स्मारक विद्यमान हैं। उदाहरणत: मांडव्य आश्रम, श्रृंगी आश्रम, राम-लक्ष्मण मंदिर आदि।
राम वहां से आधुनिक जबलपुर, शहडोल (अमरकंटक) गए होंगे। शहडोल से पूर्वोत्तर की ओर सरगुजा क्षेत्र है। यहां एक पर्वत का नाम ‘रामगढ़’ है। 30 फीट की ऊंचाई से एक झरना जिस कुंड में गिरता है, उसे ‘सीता कुंड’ कहा जाता है। यहां वशिष्ठ गुफा है। दो गुफाओं के नाम ‘लक्ष्मण बोंगरा’ और ‘सीता बोंगरा’ हैं। शहडोल से दक्षिण-पूर्व की ओर बिलासपुर के आसपास छत्तीसगढ़ है।
वर्तमान में करीब 92,300 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले इस इलाके के पश्चिम में अबूझमाड़ पहाड़ियां तथा पूर्व में इसकी सीमा पर पूर्वी घाट शामिल हैं। दंडकारण्य में छत्तीसगढ़, ओडिशा एवं आंध्रप्रदेश राज्यों के हिस्से शामिल हैं। इसका विस्तार उत्तर से दक्षिण तक करीब 320 किमी तथा पूर्व से पश्चिम तक लगभग 480 किलोमीटर है।
दंडक राक्षस के कारण इसका नाम दंडकारण्य पड़ा। यहां रामायण काल में रावण के सहयोगी बाणासुर का राज्य था। उसका इन्द्रावती, महानदी और पूर्व समुद्र तट, गोइंदारी (गोदावरी) तट तक तथा अलीपुर, पारंदुली, किरंदुली, राजमहेन्द्री, कोयापुर, कोयानार, छिन्दक कोया तक राज्य था। वर्तमान बस्तर की ‘बारसूर’ नामक समृद्ध नगर की नींव बाणासुर ने डाली, जो इन्द्रावती नदी के तट पर था। यहीं पर उसने ग्राम देवी कोयतर मां की बेटी माता माय (खेरमाय) की स्थापना की। बाणासुर द्वारा स्थापित देवी दांत तोना (दंतेवाड़िन) है। यह क्षेत्र आजकल दंतेवाड़ा के नाम से जाना जाता है। यहां वर्तमान में गोंड जाति निवास करती है तथा समूचा दंडकारण्य अब नक्सलवाद की चपेट में है।
इसी दंडकारण्य का ही हिस्सा है आंध्रप्रदेश का एक शहर भद्राचलम। गोदावरी नदी के तट पर बसा यह शहर सीता-रामचंद्र मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर भद्रगिरि पर्वत पर है। कहा जाता है कि श्रीराम ने अपने वनवास के दौरान कुछ दिन इस भद्रगिरि पर्वत पर ही बिताए थे।
स्थानीय मान्यता के मुताबिक दंडकारण्य के आकाश में ही रावण और जटायु का युद्ध हुआ था और जटायु के कुछ अंग दंडकारण्य में आ गिरे थे। ऐसा माना जाता है कि दुनियाभर में सिर्फ यहीं पर जटायु का एकमात्र मंदिर है।
दंडकारण्य क्षे‍त्र की चर्चा पुराणों में विस्तार से मिलती है। इस क्षेत्र की उत्पत्ति कथा महर्षि अगस्त्य मुनि से जुड़ी हुई है। यहीं पर उनका महाराष्ट्र के नासिक के अलावा एक आश्रम था।
डॉ. रमानाथ त्रिपाठी ने अपने बहुचर्चित उपन्यास ‘रामगाथा’ में रामायणकालीन दंडकारण्य का विस्तृत उल्लेख किया है।


पांचवां पड़ाव…
‘पंचानां वटानां समाहार इति पंचवटी’।
5. पंचवटी में राम : दण्डकारण्य में मुनियों के आश्रमों में रहने के बाद श्रीराम कई नदियों, तालाबों, पर्वतों और वनों को पार करने के पश्चात नासिक में अगस्त्य मुनि के आश्रम गए। मुनि का आश्रम नासिक के पंचवटी क्षेत्र में था। त्रेतायुग में लक्ष्मण व सीता सहित श्रीरामजी ने वनवास  का कुछ समय यहां बिताया।
उस काल में पंचवटी जनस्थान या दंडक वन के अंतर्गत आता था। पंचवटी या नासिक से गोदावरी का उद्गम स्थान त्र्यंम्बकेश्वर लगभग 20 मील (लगभग 32 किमी) दूर है। वर्तमान में पंचवटी भारत के महाराष्ट्र के नासिक में गोदावरी नदी के किनारे स्थित विख्यात धार्मिक तीर्थस्थान है।
अगस्त्य मुनि ने श्रीराम को अग्निशाला में बनाए गए शस्त्र भेंट किए। नासिक में श्रीराम पंचवटी में रहे और गोदावरी के तट पर स्नान-ध्यान किया। नासिक में गोदावरी के तट पर पांच वृक्षों का स्थान पंचवटी कहा जाता है।
ये पांच वृक्ष थे पीपल, बरगद, आंवला, बेल तथा अशोक वट। यहीं पर सीता माता की गुफा के पास पांच प्राचीन वृक्ष हैं जिन्हें पंचवट के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि इन वृक्षों को राम-सीमा और लक्ष्मण ने अपने हाथों से लगाया था।
यहीं पर लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक काटी थी। राम-लक्ष्मण ने खर व दूषण के साथ युद्ध किया था। यहां पर मारीच वध स्थल का स्मारक भी अस्तित्व में है। नासिक क्षेत्र स्मारकों से भरा पड़ा है, जैसे कि सीता सरोवर, राम कुंड, त्र्यम्बकेश्वर आदि। यहां श्रीराम का बनाया हुआ एक मंदिर खंडहर रूप में विद्यमान है।
मरीच का वध पंचवटी के निकट ही मृगव्याधेश्वर में हुआ था। गिद्धराज जटायु से श्रीराम की मैत्री भी यहीं हुई थी। वाल्मीकि रामायण, अरण्यकांड में पंचवटी का मनोहर वर्णन मिलता है।


छठा पड़ाव..
6.सीताहरण का स्थान ‘सर्वतीर्थ’ : नासिक क्षेत्र में शूर्पणखा, मारीच और खर व दूषण के वध के बाद ही रावण ने सीता का हरण किया और जटायु का भी वध किया जिसकी स्मृति नासिक से 56 किमी दूर ताकेड गांव में ‘सर्वतीर्थ’ नामक स्थान पर आज भी संरक्षित है।
जटायु की मृत्यु सर्वतीर्थ नाम के स्थान पर हुई, जो नासिक जिले के इगतपुरी तहसील के ताकेड गांव में मौजूद है। इस स्थान को सर्वतीर्थ इसलिए कहा गया, क्योंकि यहीं पर मरणासन्न जटायु ने सीता माता के बारे में बताया। रामजी ने यहां जटायु का अंतिम संस्कार करके पिता और जटायु का श्राद्ध-तर्पण किया था। इसी तीर्थ पर लक्ष्मण रेखा थी।
पर्णशाला : पर्णशाला आंध्रप्रदेश में खम्माम जिले के भद्राचलम में स्थित है। रामालय से लगभग 1 घंटे की दूरी पर स्थित पर्णशाला को ‘पनशाला’ या ‘पनसाला’ भी कहते हैं। हिन्दुओं के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से यह एक है। पर्णशाला गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। मान्यता है कि यही वह स्थान है, जहां से सीताजी का हरण हुआ था। हालांकि कुछ मानते हैं कि इस स्थान पर रावण ने अपना विमान उतारा था।
इस स्थल से ही रावण ने सीता को पुष्पक विमान में बिठाया था यानी सीताजी ने धरती यहां छोड़ी थी। इसी से वास्तविक हरण का स्थल यह माना जाता है। यहां पर राम-सीता का प्राचीन मंदिर है।


सातवां पड़ाव....
7.सीता की खोज : सर्वतीर्थ जहां जटायु का वध हुआ था, वह स्थान सीता की खोज का प्रथम स्थान था। उसके बाद श्रीराम-लक्ष्मण तुंगभद्रा तथा कावेरी नदियों के क्षेत्र में पहुंच गए। तुंगभद्रा एवं कावेरी नदी क्षेत्रों के अनेक स्थलों पर वे सीता की खोज में गए।
आठवां पड़ाव…
8.शबरी का आश्रम : तुंगभद्रा और कावेरी नदी को पार करते हुए राम और लक्ष्‍मण चले सीता की खोज में। जटायु और कबंध से मिलने के पश्‍चात वे ऋष्यमूक पर्वत पहुंचे। रास्ते में वे पम्पा नदी के पास शबरी आश्रम भी गए, जो आजकल केरल में स्थित है।
शबरी जाति से भीलनी थीं और उनका नाम था श्रमणा।
पम्पा नदी भारत के केरल राज्य की तीसरी सबसे बड़ी नदी है। इसे ‘पम्बा’ नाम से भी जाना जाता है। ‘पम्पा’ तुंगभद्रा नदी का पुराना नाम है। श्रावणकौर रजवाड़े की सबसे लंबी नदी है। इसी नदी के किनारे पर हम्पी बसा हुआ है। यह स्थान बेर के वृक्षों के लिए आज भी प्रसिद्ध है। पौराणिक ग्रंथ ‘रामायण’ में भी हम्पी का उल्लेख वानर राज्य किष्किंधा की राजधानी के तौर पर किया गया है।
केरल का प्रसिद्ध ‘सबरिमलय मंदिर’ तीर्थ इसी नदी के तट पर स्थित है।
सबरिमलय मंदिर’ तीर्थ इसी नदी के तट पर स्थित है।


नौवां पड़ाव…
9.हनुमान से भेंट : मलय पर्वत और चंदन वनों को पार करते हुए वे ऋष्यमूक पर्वत की ओर बढ़े। यहां उन्होंने हनुमान और सुग्रीव से भेंट की, सीता के आभूषणों को देखा और श्रीराम ने बाली का वध किया।
ऋष्यमूक पर्वत वाल्मीकि रामायण में वर्णित वानरों की राजधानी किष्किंधा के निकट स्थित था। इसी पर्वत पर श्रीराम की हनुमान से भेंट हुई थी। बाद में हनुमान ने राम और सुग्रीव की भेंट करवाई, जो एक अटूट मित्रता बन गई। जब महाबली बाली अपने भाई सुग्रीव को मारकर किष्किंधा से भागा तो वह ऋष्यमूक पर्वत पर ही आकर छिपकर रहने लगा था।
ऋष्यमूक पर्वत तथा किष्किंधा नगर कर्नाटक के हम्पी, जिला बेल्लारी में स्थित है। विरुपाक्ष मंदिर के पास से ऋष्यमूक पर्वत तक के लिए मार्ग जाता है। यहां तुंगभद्रा नदी (पम्पा) धनुष के आकार में बहती है। तुंगभद्रा नदी में पौराणिक चक्रतीर्थ माना गया है। पास ही पहाड़ी के नीचे श्रीराम मंदिर है। पास की पहाड़ी को ‘मतंग पर्वत’ माना जाता है। इसी पर्वत पर मतंग ऋषि का आश्रम था।


दसवां पड़ाव..
10.कोडीकरई : हनुमान और सुग्रीव से मिलने के बाद श्रीराम ने अपनी सेना का गठन किया और लंका की ओर चल पड़े। मलय पर्वत, चंदन वन, अनेक नदियों, झरनों तथा वन-वाटिकाओं को पार करके राम और उनकी सेना ने समुद्र की ओर प्रस्थान किया। श्रीराम ने पहले अपनी सेना को कोडीकरई में एकत्रित किया।
तमिलनाडु की एक लंबी तटरेखा है, जो लगभग 1,000 किमी तक विस्‍तारित है। कोडीकरई समुद्र तट वेलांकनी के दक्षिण में स्थित है, जो पूर्व में बंगाल की खाड़ी और दक्षिण में पाल्‍क स्‍ट्रेट से घिरा हुआ है।
लेकिन राम की सेना ने उस स्थान के सर्वेक्षण के बाद जाना कि यहां से समुद्र को पार नहीं किया जा सकता और यह स्थान पुल बनाने के लिए उचित भी नहीं है, तब श्रीराम की सेना ने रामेश्वरम की ओर कूच किया।


ग्यारहवां पड़ाव…
11.रामेश्‍वरम : रामेश्‍वरम समुद्र तट एक शांत समुद्र तट है और यहां का छिछला पानी तैरने और सन बेदिंग के लिए आदर्श है। रामेश्‍वरम प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ केंद्र है। महाकाव्‍य रामायण के अनुसार भगवान श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई करने के पहले यहां भगवान शिव की पूजा की थी। रामेश्वरम का शिवलिंग श्रीराम द्वारा स्थापित शिवलिंग है।


बारहवां पड़ाव…
12.धनुषकोडी : वाल्मीकि के अनुसार तीन दिन की खोजबीन के बाद श्रीराम ने रामेश्वरम के आगे समुद्र में वह स्थान ढूंढ़ निकाला, जहां से आसानी से श्रीलंका पहुंचा जा सकता हो। उन्होंने नल और नील की मदद से उक्त स्थान से लंका तक का पुनर्निर्माण करने का फैसला लिया।
छेदुकराई तथा रामेश्वरम के इर्द-गिर्द इस घटना से संबंधित अनेक स्मृतिचिह्न अभी भी मौजूद हैं। नाविक रामेश्वरम में धनुषकोडी नामक स्थान से यात्रियों को रामसेतु के अवशेषों को दिखाने ले जाते हैं।
धनुषकोडी भारत के तमिलनाडु राज्‍य के पूर्वी तट पर रामेश्वरम द्वीप के दक्षिणी किनारे पर स्थित एक गांव है। धनुषकोडी पंबन के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। धनुषकोडी श्रीलंका में तलैमन्‍नार से करीब 18 मील पश्‍चिम में है।
इसका नाम धनुषकोडी इसलिए है कि यहां से श्रीलंका तक वानर सेना के माध्यम से नल और नील ने जो पुल (रामसेतु) बनाया था उसका आकार मार्ग धनुष के समान ही है। इन पूरे इलाकों को मन्नार समुद्री क्षेत्र के अंतर्गत माना जाता है। धनुषकोडी ही भारत और श्रीलंका के बीच एकमात्र स्‍थलीय सीमा है, जहां समुद्र नदी की गहराई जितना है जिसमें कहीं-कहीं भूमि नजर आती है।
दरअसल, यहां एक पुल डूबा पड़ा है। 1860 में इसकी स्पष्ट पहचान हुई और इसे हटाने के कई प्रयास किए गए। अंग्रेज इसे एडम ब्रिज कहने लगे तो स्थानीय ल्त नहीं किया लेकिन आजाद भारत में पहले रेल ट्रैक निर्माण के चक्कर में बाद में बंदरगाह बनाने के चलते इस पुल को क्षतिग्रस्त किया गया।
30 मील लंबा और सवा मील चौड़ा यह रामसेतु 5 से 30 फुट तक पानी में डूबा है। श्रीलंका सरकार इस डूबे हुए पुल (पम्बन से मन्नार) के ऊपर भू-मार्ग का निर्माण कराना चाहती है जबकि भारत सरकार नौवहन हेतु उसे तोड़ना चाहती है। इस कार्य को भारत सरकार ने सेतुसमुद्रम प्रोजेक्ट का नाम दिया है। श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री श्रीजयसूर्या ने इस डूबे हुए रामसेतु पर भारत और श्रीलंका के बीच भू-मार्ग का निर्माण कराने का प्रस्ताव रखा था।


तेरहवां पड़ाव…
13.’नुवारा एलिया’ पर्वत श्रृंखला : वाल्मीकिय-रामायण अनुसार श्रीलंका के मध्य में रावण का महल था। ‘नुवारा एलिया’ पहाड़ियों से लगभग 90 किलोमीटर दूर बांद्रवेला की तरफ मध्य लंका की ऊंची पहाड़ियों के बीचोबीच सुरंगों तथा गुफाओं के भंवरजाल मिलते हैं। यहां ऐसे कई पुरातात्विक अवशेष मिलते हैं जिनकी कार्बन डेटिंग से इनका काल निकाला गया है।
श्रीलंका में नुआरा एलिया पहाड़ियों के आसपास स्थित रावण फॉल, रावण गुफाएं, अशोक वाटिका, खंडहर हो चुके विभीषण के महल आदि की पुरातात्विक जांच से इनके रामायण काल के होने की पुष्टि होती है। आजकल भी इन स्थानों की भौगोलिक विशेषताएं, जीव, वनस्पति तथा स्मारक आदि बिल्कुल वैसे ही हैं जैसे कि रामायण में वर्णित किए गए हैं।


श्री वाल्मीकि ने रामायण की संरचना श्रीराम के राज्याभिषेक के बाद वर्ष 5075 ईपू के आसपास की होगी (1/4/1 2)। श्रुति स्मृति की प्रथा के माध्यम से पीढ़ी-दर-पीढ़ी परिचलित रहने के बाद वर्ष 1000 ईपू के आसपास इसको लिखित रूप दिया गया होगा। इस निष्कर्ष के बहुत से प्रमाण मिलते हैं 



जिलाधिकारी ने किया गेहूं क्रय केंद्रों का निरीक्षण।


टीआर ब्यूरो ।
मुज़फ्फरनगर। सिखेड़ा व जानसठ पहुँची जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे ने गेंहू क्रय केंद्रों में व्यवस्थाओं का किया निरीक्षण, बोरियों को गोदाम में रखने के दिये निर्देश वही डीएम के साथ सीडीओ आलोक यादव,जिला सहकारिता समिति अधिकारी योगेन्द्र पाल व जिला पूर्ति अधिकारी जाकिर हुसैन सहित अधिकारी मोजूद रहे।


Featured Post

मंगलवार विशेष :पंचाग एवँ राशिफल

 🙏🏻 हर हर महादेव🙏🏻  🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞  🌤️ *दिनांक - 04 मार्च 2025* 🌤️ *दिन - मंगलवार* 🌤️ *विक्रम संवत - 2081* 🌤️ *शक संवत -...