बागपत। छपरौली में 12 फरवरी को चौधरी अजित सिंह की प्रतिमा अनावरण का कार्यक्रम टल गया है। रालोद अध्यक्ष जयन्त चौधरी को इस कार्यक्रम में आना था। कार्यक्रम के अचानक टल जाने से राजनीतिक गलियारों में इसके अनन्य कारणों पर चर्चा शुरू हो गई। एक वर्ग इसे रालोद की एनडीए से नजदीकी के तौर पर भी देख रहा है।
12 फरवरी पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत अजित सिंह की जन्मतिथि है। इस अवसर पर छपरौली के श्री विद्या मंदिर इंटर कालेज में उनकी 12 कुंतल वजनी आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया जाना था। इस कार्यक्रम को रालोद के लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान के श्रीगणेश के तौर पर भी देखा जा रहा था। इस कार्यक्रम के टलने से एक बार फिर रालोद के आइएनडीआइए या एनडीए के साथ जाने के नफे-नुकसान का आकलन शुरू हो गया है। उत्तरप्रदेश में रालोद का समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन हो चुका है। रालोद के हिस्से में सात सीटें आई हैं। ये बागपत, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मेरठ या अमरोहा, हाथरस और मथुरा हैं, लेकिन सपा की ओर से कुछ शर्तें लगा देने से गठबंधन में अभी से दरार नजर आने लगी है।
सूत्रों के अनुसार, सपा ने कैराना, मुजफ्फरनगर और बिजनौर में प्रत्याशी अपना और निशान रालोद का रहने की शर्त रखी है। रालोद कैराना और बिजनौर पर तो राजी है, लेकिन मुजफ्फरनगर पर पेच फंस गया। रालोद ने ऐसी स्थिति में अपने हिस्से की सीटें बढ़ाने की बात रखी।
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