मुजफ्फरनगर । परहित सरसि धरम नहीं भाई। पर पीडा सम नहीं अधमाई। कुछ इसी सूत्र को लेकर आशीष सरीन जिला कारागार में बंद उन गरीबों के तारणहार बने हुए हैं जिन्हें छोटी मोटी जुर्माने की रकम के चलते लंबा समय जेल में बिताना पड़ता है। शहर के प्रमुख समाजसेवी अशोक सरीन के पुत्र आशीष सरीन अपने पास से जुर्माने की रकम जमा कराकर उन्हें इस शर्त के साथ मुक्ति दिला रहे हैं कि फिर वे किसी अपकर्म में लिप्त नहीं होंगे और परिवार व समाज के लिए सकारात्मक योगदान देंगे। उनके इस सुकर्म के लिए 75वें गणतंत्र दिवस पर कारागार प्रशासन की ओर से उन्हें प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया गया। जिला कारागार पर आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित अपर जिला जज शक्ति सिंह, एडीजे श्रीमती हेमलता त्यागी, एडीजे अनिल कुमार एवं एसीजेएम मयंक जायसवाल द्वारा प्रदान किया गया। आशीष सरीन अभी तक 38 गरीब बंदियों को अपने आर्थिक सहयोग से मुक्त करा चुके हैं। यह अभियान जारी है।
आशीष सरीन ने कहा कि यह सम्मान मेरे परिवार के सहयोग व संस्कारों से किये गए सकारात्मक प्रयासों का प्रतिफल है । इस अवसर पर जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा, जेलर राजेश कुमार सिंह, मेघा राजपूत डिप्टी जेलर आदि मौजूद रहे।
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