गुरुवार, 13 जुलाई 2023

सात साल से कम सजा के मामलों में दबिश पर विवेचकों को तलब किया


 मुजफ्फरनगर । सात साल से कम सजा वाले मामलों में गिरफ्तारी ना किए जाने के आदेश के बावजूद पुलिस द्वारा दी जा रही दबिश पर जिला जज ने विवेचकों को तलब किया है। 

सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया था कि जिन मामलों में 7 साल तक की सजा का कानून है, ऐसे अपराधों में पुलिस आरोपी की गिरफ्तारी न करे और उसे दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41(1) के तहत नोटिस जारी करके उसे सुनवाई के लिए सीधे अदालत में पेश होने का निर्देश दे। लेकिन मुजफ्फरनगर की पुलिस 7 साल से कम सजा वाले अपराधों में भी लगातार गिरफ्तारियां कर रही है। इसको लेकर जिला जज चवन प्रकाश ने गहरी नाराजगी जाहिर की है और उन्होंने विवेचकों को नोटिस जारी कर इस मामले में अदालत में पेश होकर स्पष्टीकरण देने के आदेश दिए है। एक मामला महिला थाने का  जिला जज चवन प्रकाश की अदालत में पेश हुआ जिसमें धारा 498 A, 323, 376, 511, 506 और 504 के तहत मुकदमा दर्ज कर दहेज पीड़िता महिला के सास ससुर की गिरफ्तारी के लिए दबाव बनाने से संबंधित है। दूसरा मामला भोपा थाने के अंतर्गत धारा 147, 148, 354, 323 और 506 के तहत दर्ज है, जिसमें भी जिला जज की अदालत में जमानत के लिए याचिका दाखिल की गई है। जिला जज ने स्पष्ट किया है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अर्नेश कुमार बनाम स्टेट ऑफ़ बिहार अपराधिक अपील संख्या 1277 सन 2014 और सत्येंद्र कुमार अंतिल बनाम सीबीआई के मामले में दिए गए दिशा निर्देश के अनुसार 7 साल से कम उम्र की सजा वाले अपराधिक मामलों में गिरफ्तारी न करने का निर्देश दिया था।

जिला जज ने पूछा है कि ऐसे में भी पुलिस 7 साल से कम सजा के मामलों में गिरफ्तारी के लिए दबिश क्यों दे रही है ? जिला जज ने दोनों ही मामलों में विवेचकों  को केस डायरी के साथ अदालत में तलब किया है।

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