मुजफ्फरनगर। अपर जिलाधिकारी (वि0/रा0) गजेन्द्र कुमार द्वारा गर्मी के चलते लू और गर्म हवाओ से बचाओ के लिए लोगो से सावधानी बरतने की अपील की है तथा यह कहा है कि गर्मी मे उच्च तापमान मे ज्यादा देर रहने या गर्म हवा के सम्पर्क मे आने से लू लग सकती है इसीलिए ऐसे मे अपना विशेष ध्यान रखे तथा लू लगने पर तुरन्त चिकित्सय सहायता ले। जिला आपदा विशेषज्ञ श्री ओमकार चतुर्वेदी द्वारा बताया गया कि भारतीय मौसम विभाग के अनुसार जब किसी जगह का स्थानीय तापमान लगातार 03 दिन तक वहां के सामान्य तापमान से 03 डिग्री अधिक बना रहे तो उसे लू या हीट वेव कहते हैं। विश्व मौसम संघ के अनुसार यदि किसी स्थान का तापमान 05 दिन तक सामान्य स्थानीय तापमान से 05 डिग्री से0 से अधिक बना रहे अथवा लगातार 02 दिन तक 45 डिग्री से0 से अधिक का तापमान बना रहे तो उसे हीट वेव या लू कहते हैं।
जब वातावरणीय तापमान 37 डिग्री से0 तक रहता है तो मानव शरीर पर इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पडताहै, जैसे ही तापमान 37 डिग्री से0 से ऊपर बढता है तो हमारा शरीर वातावरणीय गर्मी को शोषित कर शरीर के तापमान को प्रभावित करने लगता है। शरीर में सबसे बडी समस्या होती है लू लगना। अग्रेंजी में इसे हीट स्ट्रोक या सन स्ट्रोक कहते हैं। गर्मी में उच्च तापमान में ज्यादा देर तक रहने से या गर्म हवाओं के झोंको के सम्पर्क में आने पर लू लग जाती है।
कब लगती है लू-
गर्मीमें शरीर के द्रव्य अर्थात बॉडी फ्लूड सूखने लगते हैं। शरीर से पानी, नमक की कमी होने पर लू लगने का खतरा ज्यादा होने लगता है। निम्नस्थितियों में लू लगने की संभावना अधिक होती है-
1. शराब की लत, हृदय रोग, पुरानीबीमारी, मोटापा, अधिकउम्र, अनियत्रिंत मधुमेह।
हीटस्ट्रोक के लक्षण-
1. गर्म, लाल, शुष्क त्वचा का होना, पसीना न आना।
2-तेज पल्स का होना।
3-व्यवहार में परिवर्तन, भ्रम की स्थिति।
4-सिर दर्द, मितली, थकान, कमजोरी होना और चक्कर आना।
5-मूत्र का न होना अथवा इसमें कमी होना।
उपरोक्त लक्षणों के चलते मनुष्य के शरीर में निम्नलिखित प्रभाव पडता हैः-
1. उच्च तापमान से शरीर के आन्तरिक अंगो, विशेष रूप से मस्तिष्क को नुकसान पहुंचता है तथा शरीर में उच्च रक्त चाप उत्पन्न करता है।
2. मनुष्य के हृदय के कार्य पर प्रतिकूल प्रभाव उत्पन्न करता है।
3. जो लोग 01 या 02 घंटे से अधिक समय तक 40.6 डिग्री से0 या 105 डिग्री फा0 या अधिक तापमान अथवा गर्म हवा में रहते है तो उनके मस्तिष्क में क्षति होने की संभावना प्रबल हो जाती है।
हीट स्ट्रोक से बचने के उपाय (क्या करें क्या न करें) -हीट वेव की स्थिति शरीर के कार्य प्रणाली पर प्रभाव डालती है जिस से मृत्यु भी हो सकती है। इसके प्रभाव को कम करने के लिये निम्न तथ्यों पर ध्यान देना चाहियेः-
1. प्रचार माध्यमों पर हीट वेव/लू की चेतावनी पर ध्यान दें।
2. अधिक से अधिक पानी पीयें, यदि प्यास न लगी हो तब भी।
3. हल्के रंग के पसीना शोषित करने वाले सूती वस्त्र पहने।
4. घूप के चश्मे, छाता, टोपी व चप्पल का प्रयोग करें।
5. अगर आप खुले में कार्य करते हैं तो सिर, चेहरा, हाथ, पैरों को गीले कपडे से ढककर रखें तथा छाते का प्रयोग करें।
6. लूसे प्रभावित व्यक्ति को छाया में लिटा कर सूती गीले कपडे से पोंछे अथवा नहलायें तथा चिकित्सक से सम्पर्क करें।
7. यात्रा करते समय पीने का पानी साथ रखें।
8. ओ0आर0एस0, घर में बने पेय पदार्थ जैसे-लस्सी, चावल का पानी, नीबूं पानी, छाछ आदि का उपयोग करें, जिससे शरीर में पानी की कमी की भरपाई हो सके।
9. हीट स्ट्रोक, हीट रैश, हीट क्रैम्प के लक्षणों जैसे कमजोरी, चक्कर आना, सरदर्द, उबकाई, पसीना आना, बेहोशी आदि को पहचानना।
10. यदि बेहोशी या बीमारी अनुभव करते है तो तुरन्त चिकित्सकीय सलाह लें।
11. अपने घर को ठण्डा रखें। पर्दे, दरवाजे आदि का प्रयोग करें तथा रात व शाम के समय कमरों व घर को ठण्डा करने के लिये इन्हें खोल दें।
12. पंखे, गीले कपडे का प्रयोग करें तथा बार-बार स्नान करें।
13. कार्यस्थल पर ठंडे पीने का पानी रखें/उपलब्ध करायें।
14. कर्मियों को सीघे सूर्य की रोशनी से बचने हेतु सावधान करें।
15. श्रमसाध्य कार्योकोठंडे समय मेंकरने/करानेकाप्रयासकरें।
16. घर से बाहर होने की स्थिति में आराम करने की समयावधि तथा आवृत्ति को बढायें।
17. गर्भवती महिला कर्मियों तथा रोग्र गस्त कर्मियों पर अतिरिक्त ध्यान देना चाहिये।
क्या न करेंः- 1-जानवरों एवं बच्चों को कभी भी बंद/खडी गाडियों में अकेला न छोडें।
2-दोपहर 12 से 03 बजे के मध्य सूर्य की रोशनी में जाने से बचें।सूर्य के ताप से बचने के लिये
जहां तक सम्भव हो, घर के निचली मंजिल पर रहें।
3-गहरे रंग के भारी तथा तंग कपडे न पहनें।
4-जब बाहर का तापमान अधिक हो, तब श्रमसाध्य कार्य न करें।
5-अधिक प्रोटीन तथा बासी एवं संक्रमित खाद्य व पेय पदार्थ का सेवन न करें।
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