प्रयागराज । न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने हाथरस के आकाश जाटव द्वारा भगवान राम व कृष्ण के खिलाफ सोशल मीडिया में अश्लील टिप्पणी के मामले में जमानत मंजूर करते हुए कहा कि राम के बिना भारत अधूरा है। राम व कृष्ण का अपमान पूरे देश का अपमान है। हम जिस देश में रह रहे हैं उस देश के महापुरुषों व संस्कृति का सम्मान करना जरूरी है। कोई ईश्वर को माने या न माने, उसे किसी की आस्था पर चोट पहुंचाने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम् की रही है। हम सर्वे भवन्तु सुखिनः,सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यंतु, मां कश्चित दुःख भाग भवेत।। की कामना करने वाले लोग हैं।
कोर्ट ने कहा कि याची पिछले 10 माह से जेल में बंद है। मुकदमे का विचारण शीघ्र पूरा होने की संभावना नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भी दाताराम केस में कहा है कि जमानत अधिकार है और जेल अपवाद इसलिए उसे सशर्त जमानत पर रिहा किया जाए। याची का कहना था कि 28 नवंबर 2019 को किसी ने उसकी फर्जी आईडी तैयार कर अश्लील पोस्ट डाली। वह निर्दोष है और यह भी तर्क दिया कि संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, जिसे अपराध नहीं माना जा सकता।
सरकारी वकील ने कहा कि याची अहमदाबाद में अपने मामा के घर गया था, जहां उसने अपना सिम कार्ड मामा के लड़के के मोबाइल में लगाकर अश्लील पोस्ट डाली है और एफआईआर दर्ज होते ही मोबाइल फोन व सिम कार्ड तोड़कर फेंक दिया। कोर्ट ने कहा संविधान में मूल अधिकार दिए गए हैं। उसी में से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार भी है। संविधान बहुत उदार है। धर्म न मानने वाला नास्तिक हो सकता है लेकिन इससे किसी को दूसरे की आस्था को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं मिल जाता।
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कहा कि मानव खोपड़ी हाथ में लेकर नृत्य करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। यह अपराध है। ईद पर गोवध पर पाबंदी है। वध करना अपराध है। सूचना प्रौद्योगिकी कानून में भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम गैर जमानती अपराध है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता असीमित नहीं है। राज्य सुरक्षा, अफवाह फैलाना, अश्लीलता फैलाना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं, बल्कि अपराध है।
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