मंगलवार, 14 सितंबर 2021

एस0डी0 कॉलेज ऑफ कॉमर्स में हिन्दी दिवस का अयोजन


मुजफ्फरनगर । एस0डी0 कॉलेज ऑफ कॉमर्स, मुजफ्फरनगर में हिन्दी दिवस पर एक वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है जिसका शुभारम्भ मुख्य रूप से महाविद्यालय के प्राचार्य डा0 सचिन गोयल व मानविकी संकाय की विभागाध्क्षा श्रीमति एकता मित्तल ने संयुक्त रूप से किया।

प्रतियोगिता का मुख्य विषय आधुनिकता की पहचान- "अंग्रेजी या हिन्दी" रहा। जिममें महाविद्यालय के समस्त संकायों के छात्र/छात्राओं ने प्रतिभाग किया। छात्र/छात्राओं ने हिन्दी को सरल भाषा बताया व जिसे लिखना व पढना अत्यन्त ही आसान है भारत वर्ष में 70 प्रतिशत लोग हिन्दी भाषा का उपयोग करते है व हिन्दी ही हमारी आधुनिकता की पहचान होनी चाहिए। प्रतिभाग करने वाले छात्र/छात्राओं में मुख्य रूप से फातीमा, शिवानी, नूर, नशरा, स्वाति, श्रुति, मंजू, तान्या, वंशिका, खुशी, वर्षा, रिया, तनु आदि रही।

प्रतियोगिता में प्रथम स्थान तान्या बी0एस0सी0(गृहविज्ञान), द्वितीय स्थान साक्षी नामदेव (मानविकी विभाग) व तृतीय स्थान पंखुरी गर्ग (बी0एफ0ए0) एवं सांत्वना पुरस्कार इशिका कौशिक (बी0एफ0ए0) व रितिक (मानविकी विभाग) को मिला।

प्रतियोगिता में निर्णायक की भूमिका में डा0 अमित कुमार, श्रीमति नीतु गुप्ता व श्रीमति एकता मित्तल रहे एवं कार्यक्रम का संचालन श्रीमति गरिमा कंसल ने किया।

महाविद्यालय के प्राचार्य डा0 सचिन गोयल ने अपने वक्तव्य में बताया कि भारत में प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिन्दी दिवस मनाया जाता है। 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने निर्णय लिया था कि हिन्दी ही भारत की राज भाषा होगी। इस महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने और हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए राष्ट्र भाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर वर्ष 1953 से पूरे भारत में 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होनें यह भी कहा कि हिन्दी आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की एक मजबूत कडी है। हिन्दी केवल एक भाषा ही नहीं बल्कि भावनाओं का उमडता सैलाब है, जो हर दिन सफलता के नए सोपान गढ रही है और एक नदी की भांति आगे बढ़ रही है।

मानविकी विभाग की विभागाध्यक्षा श्रीमति एकता मित्तल ने महान साहित्यकार भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की दो पंक्तियों- 'निज भाषा उन्नति रहे, सब उन्नति के मूल। बिनु निज भाषा ज्ञान के रहत मूढ-के-मूढ।।' के माध्यम से हिन्दी के महत्व को समझाया। उन्होने कहा कि जो लोग हिन्दी भाषा बोलने वालों को हीन भावना की दृष्टि से देखते है उनको यह बात समझनी होगी की आधुनिक होना केवल अंग्रेजी भाषा बोलना नही हैं, हमारे समाज में ऐसे बहुत से आधुनिक सभ्यता मानने वाले लोग भी है जो हिन्दी बोलने में गर्व समझते है। 

प्रतियोगिता को सफल बनाने में महाविद्यालय के समस्त शिक्षकगण व कर्मचारियों आदि का योगदान रहा।

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