सोमवार, 2 अगस्त 2021

पश्चिमांचल राज्य के गठन की मांग को लेकर किया प्रदर्शन


मुजफ्फरनगर। पश्चिमांचल निर्माण संगठन के कार्यकर्ताओं ने उत्तर प्रदेश का विभाजन कर पश्चिमांचल राज्य के गठन की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। 

उन्होंने इसे लेकर नारेबाजी की और कहा कि  आबादी तथा क्षेत्रफल के हिसाब से उत्तर प्रदेश बहुत बड़ा राज्य है जिसमे 25 करोड़ से ज्यादा जनसंख्या के साथ दुनिया के 5वें सबसे बड़े देश के समकक्ष है। दडीएम कार्यालय पर इसमें 75 जिले 822 ब्लाक और 52000 ग्राम पंचायत है इसके चलते आजादी के 71 साल बाद भी कानून व्यवस्था से लेकर शिक्षा खेल स्वास्थ्य रोजगार और विकास के हर पैमाने पर उत्तर प्रदेश अन्य राज्यों की तुलना में बहुत ज्यादा पिछड़ा हुआ है। प्रदेश की राजधानी लखनऊ पश्चिम उत्तर प्रदेश के कई जिलों से 700 किलोमीटर तक की दूरी पर है प्रदेश के सभी विभागों के मुख्यालय लखनऊ,कानपुर व इलाहाबाद में है, जिसके चलते पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

प्रदेश का उच्च न्यायालय इलाहाबाद भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों से 850 किलोमीटर तक की दूरी पर है यहां के नागरिकों को मुकदमों की पैरवी के लिए हाई कोर्ट पहुंचने में धन एवं समय अधिक खर्च करना पड़ता है आखिर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ ही यह पक्षपात क्यों पश्चिमी उत्तर प्रदेश संसाधनों से भरपूर है और उत्तर प्रदेश की आय से 70 से 80 प्रतिशत तक की भागीदारी देता है। उत्तर प्रदेश में 30 स्टेट यूनिवर्सिटी हैं जिसमें से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आठ करोड़ जनता के लिए मात्र 6 ही हैं।  सेंट्रल यूनिवर्सिटी भी 5 में से सिर्फ एक ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में है उत्तर प्रदेश के 30 मेडिकल कॉलेजों में से सिर्फ पांच ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में है हर क्षेत्र में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की हालत बहुत खराब हो चुकी है और यह बीमारू राज्यों में शामिल है। इसके अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश की संस्कृति बोली व रहन-सहन भी बाकी उत्तर प्रदेश से अत्यंत भिन्न है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने के लिए 1953 में चौधरी चरण सिंह जी समेत 97 विधायकों ने राज्य पुनर्गठन आयोग के समक्ष प्रतिवेदन दिया था 1955 में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर भी यूपी के बंटवारे की वकालत कर चुके हैं।

उन्होंने मांग की कि पश्चिमी यूपी को अलग राज्य बना दिया जाए। जब संविधान कहता है कि जनता को सस्ता और सुलभ न्याय देना सरकार का दायित्व है तो सरकार को अपना दायित्व निभाना चाहिए अगर सरकार ने हमारी मांगे नही मानी तो हम लोग बड़ा आंदोलन करने पर मजबूर होंगे। आंदोलनकारियों ने प्रधानमंत्री के नाम प्रशासन को ज्ञापन सौंपा।

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