सोमवार, 8 मार्च 2021

क्या आप जानते हैं रुद्राक्ष का चमत्कारिक प्रभाव

 


*रूद्राक्ष का चमत्कारिक रहस्य:*

रूद्राक्ष को मनुष्य जाति के लिए चमत्कार पूर्णं तथा वरदान स्वरूप बताया गया है। इसकी उत्पत्ती मानव मात्र के कल्याण के लिए भगवान शंकर ने अपने अश्रुओं से किया है। कहा जाता है कि रूद्राक्ष धारण करने वाला व्यक्ति भगवान शिव को अत्यंत प्रिय होता है।

जो व्यक्ति किसी भी रूप में रूद्राक्ष धारण कर लेता है उसके सारे समस्याओं का निराकरण स्वतः ही होने लगता है, तथा वह समस्त प्रकार के संकटों से बचा रहता है। ऐसे व्यक्ति की कभी भी आकस्मिक दुर्घटना नहीं होती वह हर प्रकार के अला-बलाओं से मुक्त रहता है। रूद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति के पापों का क्षय होता है चाहे वह गोहत्या अथवा ब्रह्म हत्या जैसा पाप ही क्यों न हो।

रूद्राक्ष की माला को तंत्र शास्त्रों में अत्यधिक महत्व पूर्णं एवं चमत्कारिक माना गया है।

इसे धारण करने वाले व्यक्ति को दीर्घायु जीवन की प्राप्ति होती है तथा उसकी अकाल मृत्यु कभी नही हो सकती। जो मनुष्य रूद्राक्ष धारण करता है उसे जीवन में धर्म, अर्थ, काम, तथा मोक्ष की प्राप्ति सहज ही हो जाती है, साथ ही साथ मनुष्य के अनेकों शारीरिक, मानसिक तथा आर्थिक समस्याओं का समाधान होने लगता है तथा मन में असिम शांति का अनुभव होने लगता है।

रूद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति के उपर भुत-प्रेत, जादू-टोना, तथा किए-कराए का कोइ आर नही पड़ता। रूद्राक्ष धारण करने वाला व्यक्ति रूद्र तुल्य हो जाता है उसके पाप, ताप, संताप पूर्णतः समाप्त हो जाते हैं। चाहे कोई संयासी हो अथवा गृहस्थ सभी के लिए रूद्राक्ष सामान रूप से उपयोगी माना गया है। जिस घर में नित्य रूद्राक्ष का पूजन किया जाए उस घर में हमेशा सुख शांति बनी रहती है तथा उसके घर में अचल लक्ष्मी का सदा वास होता है।

रूद्राक्ष के मुखों के अनुसार पुराणों मे इसका महत्व तथा उपयोगिता का उल्लेख मिलता है। मुख्यतः एक मुख से लेकर इक्किस मुखी तक रूद्राक्ष प्राप्त होता है तथा प्रत्येक रूद्राक्ष का अपना अलग-अलग महत्व तथा उपयोगिता होती है।

*एकमुखी रूद्राक्ष*

पुराणों मे एकमुखी रूद्राक्ष को साक्षात रूद्र का स्वरूप कहा गया है यह चैतन्य स्वरूप पारब्रह्म का प्रतिक है। एकमुखी रूद्राक्ष को अत्यंत दुर्लभ तथा अद्वितिय माना गया है क्योंकि सौभाग्य शाली मनुष्य को ही एक मुखी रूद्राक्ष प्राप्त होता है।

इसे धारण करने वाले व्यक्ति के जीवन में किसी प्रकार का अभाव नही रहता तथा जीवन में धन, यश, मान-सम्मान, की प्राप्ति होती रहती है तथा लक्ष्मी चिर स्थाई रूप से उसके घर में निवास करती है। एकमुखी रूद्राक्ष को धारण करने से सभी प्रकार के मानसिक एवं शारीरिक रोगों का नाश होने लगता है तथा उसकी समस्त मनोकामनाएं स्वतः पूर्णं होने लगती हैं।

परंतु ध्यान रखें गोलाकार एकमुखी रूद्राक्ष को ही सर्वश्रेष्ठ माना गया है यह अत्यंत दुर्लभ है। काजू दाने की आकार वाली एकमुखी रूद्राक्ष सरलता से प्रप्त होती है परंतु यह कम प्रभावी होता है।

*दोमुखी रूद्राक्ष*

शास्त्रों में दोमुखी रूद्राक्ष को अर्धनारिश्वर का प्रतिक माना गया है। यह शिव भक्तों के लिए उचित एवं उपयोगी माना गया है। इसे धारण करने से मन में शांति तथा चिŸा में एकाग्रता आने से आध्यात्मीक उन्नती तथा सौभाग्य में वृद्धि होती है।है।

*तीनमुखी रूद्राक्ष*

तीनमुखी रूद्राक्ष को साक्षात अग्नि स्वरूप माना गया है। इस रूद्राक्ष में त्रिगुणात्मक शक्तियाँ समाहित होती हैं। इसे धारण करने वाला व्यक्ति अग्नि के समान तेजस्वी हो जाता है उसके सभी मनोरथ शीघ्र पुरे हो जाते हैं। तथा घर में धन-धान्य, यश, सौभाग्य की वृद्धि होने लगती है। तीनमुखी रूद्राक्ष धारण करने से परीक्षा, इन्टरव्यु, नौकरी तथा रोजगार के क्षेत्र में पूर्ण रूप से सफलता प्राप्त होती है।

*चारमुखी रूद्राक्ष*

चारमुखी रूद्राक्ष को ब्रह्म स्वरूप माना जाता है। यह शिक्षा के क्षेत्र में पूर्णं रूप से सफलता दिलाने में समर्थ है। इसे धारण करने वाले व्यक्ति कि वाक शक्ति प्रखर तथा स्मरण शक्ति तीव्र हो जाती है और शिक्षा के क्षेत्र में व्यक्ति अग्रणी हो जाता है।

*पाँचमुखी रूद्राक्ष*

पाँचमुखी रूद्राक्ष को साक्षात रूद्र स्वरूप है। यह रूद्रावतारी हनुमान का प्रतिनिधित्व करता है। इसे कालाग्नी नाम से भी जाना जाता है, यह प्रयाप्त मात्रा में उपलब्ध होता है। माला के लिए इसी रूद्राक्ष का उपयोग किया जाता है। पंचमुखी रूद्राक्ष को किसी भी साधना में सिद्धि एवं पूर्णं सफलता दायक माना गया है। इसे धारण करने से सांप, बिच्छु, भुत-प्रेत जादू-टोने से रक्षा होती है तथा मानसिक शांति और प्रफुल्लता प्रदान करते हुए मनुष्य के समस्त प्रकार के पापों तथा रोगों को नष्ट करने में समर्थ है।

*छःमुखी रूद्राक्ष*

इसे भगवान कार्तिकेय का स्वरूप माना गया है। छःमुखी रूद्राक्ष को धारण करने से मनुष्य की खोई हुई शक्तियाँ पुनः जागृत होने लगती हैं। स्मरण शक्ति प्रबल तथा बुद्धि तीब्र होती है। छःमुखी रूद्राक्ष धारण करने से ब्रह्महत्या से भी बड़ा पाप नष्ट हो जाता है। तथा धर्म, यश तथा पुण्य प्राप्त होता है। इसे धारण करने से हृदय रोग, चर्मरोग, नेत्ररोग, हिस्टिरीया तथा प्रदर रोग जैसे विकार नष्ट हो जाते हैं।

 *सातमुखी रूद्राक्ष*

सातमुखी रूद्राक्ष सप्तऋषियों के स्वरूप है। इसे धारण करने से धन, संपति, कीर्ति और विजय की प्राप्ति होती है तथा कार्य व्यापार में निरंतर बढ़ोतरी होती है। सप्तमुखी रूद्राक्ष को दुर्घटना तथा अकाल मृत्यु को हरण करने वाला तथा पूर्णं संसारिक सुख प्रदान करने वाला बताया गया है।

*अष्टमुखी रूद्राक्ष*

इसे अष्टभुजी देवी माँ दुर्गा का स्वरूप माना गया है। इसे धारण करने से दिव्य ज्ञान की प्राप्ति, चित्त में एकाग्रता तथा केश मुकदमों में सफलता प्राप्त होती है। अष्टमुखी रूद्राक्ष को धारणा करने से आँखों मे अजीब सा सम्मोहन शक्ति आ जाती है जिससे सामने वाले व्यक्ति को प्रभावित किया जा सकता है। इसके माध्यम से कुण्डलिनी शक्ति को भी जागृत किया जा सकता है।

 *नौमुखी रूद्राक्ष*

नौमुखी रूद्राक्ष नवदुर्गा, नवग्रह, तथा नवनाथों का प्रतिक माना जाता है। इसे धारण करने से समस्त प्रकार की साधनाओं मंे सफलता प्राप्त होती है। यह अकाल मृत्यु निवारक, शत्रुओं को परास्त करने, मुकदमों में सफलता प्रदान करने तथा धन, यश तथा कीर्ति प्रदान करने में समर्थ है।

 *दसमुखी रूद्राक्ष*

दसमुखी रूद्राक्ष को दसो दिशाओं का सुचक तथा दिग्पाल का प्रतिक है। इसे धारण करने से सभी प्रकार के लौकिक तथा पारलौकिक कामनाओं की पूति होती है। समस्त प्रकार के विघ्न बाधाओं तथा तांत्रिक बाधाओं से रक्षा करते हुए सुख-सौभाग्य की

 प्राप्ति होती है।

*ग्यारहमुखी रूद्राक्ष* 

ग्यारहमुखी रूद्राक्षको हनुमान स्वरूप माना गया है। इसे धारण करने पर किसी भी चीज का अभाव नही रहता तथा सभी प्रकार के संकट और कष्ट दुर हो जाते हैं। इसे धारण करने से संक्रामक रोगों का नाश होता है। यदि बंध्या स्त्री को भी इसे धारण कराया जाए तो निश्चय ही उसकी संताने पैदा हो जाती है।

*बारहमुखी रूद्राक्ष*

बारह मुखी रूद्राक्ष को आदित्य स्वरूप माना गया है। इसे धारण करने वाला व्यक्ति तेजस्वी तथा शक्तिशाली बनता है तथा उसके चेहरे पर हमेशा ओज और तेज झलकता रहता है साथ ही सभी प्रकार के शारीरिक तथा मानसिक व्याधियों से मुक्ति मिल जाती है। इसे धरण करने से आँखों की रोशनी बढ़ जाती है तथा आँखों में सम्मोहन शक्ति बढ़ती है।

*तेरहमुखी रूद्राक्ष*

इसे इन्द्र स्वरूप माना गया है। इसे धारण करने से समस्त प्रकार के सिद्धियों मे सफलता प्राप्त होती है। शारीरिक सौन्दर्य मे वृद्धि तथा जीवन में यश, मान सम्मान, पद प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।

*चौदहमुखी रूद्राक्ष*

इसे साक्षात त्रिपुरारी स्वरूप माना गया है। इसे धारण करने से स्वास्थ्य लाभ शारीरिक, मानसिक तथा व्यापारिक उन्नती मे सहायक होता है। यह स्मस्त प्रकार के आध्यात्मीक तथा भौतिक सुखों को प्रदान करने में समर्थ है।

*गौरीशंकर रूद्राक्ष*

इसे शिव तथा शक्ति का मिश्रीत स्वरूप माना गया है। यह प्राकृतिक रूप से वृक्ष पर ही जुड़ा हुआ उत्पन्न होता है। इसे धारण करने पर शिव तथा शक्ति की संयुक्त कृपा प्राप्त होती है, यह आर्थिक दृष्टि से पूर्णं सफलता दायक होता है। पारिवारिक सामंजस्य आकर्षण तथा मंगल कामनाओं की सिद्धि में सहायक होने के साथ-साथ लड़का-लड़की के विवाह में आ रही बाधाओं को समाप्त कर वर अथवा बधू की प्राप्ति मे भी सहायक है।


*डाॅ.रवि नंदन मिश्र*

*असी.प्रोफेसर*

( *पं.रा.प्र.चौ.पी.जी.काॅलेज,वाराणसी*) *सदस्य- अखिल भारतीय ब्राम्हण एकता परिषद, वाराणसी  एवं उत्तरप्रदेशअध्यक्ष - वीर ब्राह्मण महासंगठन,हरियाणा*

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