मंगलवार, 23 मार्च 2021

देश में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए लॉकडाउन की कवायद हुई तेज, जाने कब और कैसे लगेगा लॉकडाउन

नई दिल्ली l हाल ही में सभी राज्य के मुख्यमंत्रियों के साथ अपनी बैठक में, पीएम मोदी ने तेजी से बढ़ रहे कोविड-19 की स्थिति को प्रभावी ढंग से संभालने की बात कही की थी। लेकिन लगातार बढ़ रहे कोरोना मामलों ने सरकार की चिताएं एक बार फिर से बढ़ा दी हैं। बीते साल 25 मार्च, 2020 को भारत में बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए देशव्यापी लॉकडाउन लगा दिया गया था। देशभर में बस, ट्रेन, हवाई जहाज समेत तमाम सेवाओं को ठप कर दिया गया था और बहुत जरुरी सेवाओं के लिए ही किसी भी गतिविधि की अनुमति थी।



अब लॉकडाउन लगने के एक साल बाद, कोरोना के मामलों में हो रही लगातार वृद्धि के कारण फिर से कई राज्यों ने स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन जैसी पाबंदियां लगाना शुरु कर दी हैं। कहीं आंशिक लॉकडाउन, तो कहीं नाइट कर्फ्यू जैसी पाबंदियां लगाई जा रही हैं। जिससे बढ़ते कोरोना वायरस को एक बार फिर से नियंत्रित किया जा सके। हालांकि, फिलहाल राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन लगने की संभावना तो नजर नहीं आ रही है। लेकिन बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र ने स्पष्ट कर दिया है कि प्रशासन को लगातार नए संक्रमणों को ट्रैक करते रहना होगा, जिससे मामलों में तेजी ना आ पाए।

सरकार ने एक तरफ 45 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को टीका लगाने के अभियान को 1 अप्रैल से शुरू करने को मंजूरी दी है, वहीं एक अप्रैल से ही नई कोरोना गाइडलाइंस भी लागू करने का फैसला लिया गया है। गृह मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइंस में राज्य सरकारों को टेस्ट, ट्रैक और ट्रीट की पॉलिसी को सख्ती से लागू करने का आदेश दिया गया है। यह नई गाइडलाइंस एक अप्रैल से 30 अप्रैल तक के लिए लागू होंगी। केंद्र ने राज्यों से टेस्टिंग को भी बढ़ाने की बात पर जोर दिया है।

इस नई गाइडलाइन के अनुसार, कंटेनमेंट जोन के अलावा बाकी सभी जगहों पर किसी भी गतिविधि पर रोक नहीं गई है। इनमें यात्री ट्रेनों की आवाजाही, हवाई यात्रा, मेट्रो ट्रेन, स्कूल, उच्च शिक्षण संस्थान, होटल, रेस्तरां, शॉपिंग मॉल, मल्टीप्लेक्स और मनोरंजन पार्क, योग केंद्र और व्यायामशाला आदि शामिल हैं। हालांकि, इन गतिविधियों में से प्रत्येक के लिए कोरोना गाइलाइन्स का पालन करना अनिवार्य होगा। केंद्र ने कहा कि व्यक्तियों और वस्तुओं के अंतरराज्यीय आवाजाही पर भी फिलहाल किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं होगा। हालांकि अधिकांश राज्य अन्य राज्यों से आने वाले लोगों के लिए कोविड-19 की निगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य जरुर कर रहे हैं।

लॉकडाउन केवल एक निश्चित समय के लिए संक्रमण की रोकथाम सुनिश्चित करता है, लेकिन ट्रैकिंग और टेस्टिंग की प्रक्रिया वायरस के रोकथाम में ज्यादा कारगर साबित होती है। यही कारण है कि केंद्र ने राज्यों से टेस्टिंग को भी बढ़ाने की बात कही है और पॉजिटिव आए लोगों जल्दी से जल्दी इलाज सुनिश्चित करने को कहा है। इसके अलावा ट्रैक की पॉलिसी पर काम करते हुए टेस्ट में पॉजिटिव आए लोगों की जानकारी जुटाने और उनकी भी टेस्टिंग करने का आदेश दिया गया है और इन लोगों को आइसोलेट करने की बात कही गई है। 

यही नहीं केंद्र सरकार ने कहा है कि जिला प्रशासन को माइक्रो लेवल पर कंटेनमेंट जोन तैयार करने पर जोर देना चाहिए। यही नहीं सभी जिला अधिकारियों की ओर से डिस्ट्रिक्ट की वेबसाइट पर कंटेनमेंट जोन्स के बारे में भी जानकारी दी जाएगी। यह लिस्ट केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ भी समय-समय पर साझा करने को कहा गया है। मंत्रालय ने कहा है कि कंटेनमेंट जोन वाले इलाकों में सख्ती के साथ हाउस टू हाउस सर्विलांस और कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग किए जाने की जरूरत है।

वही, मंत्रालय ने कहा है कि कंटेनमेंट जोन में नियमों के पालन के लिए स्थानीय प्रशासन और पुलिस जिम्मेदार होंगे। इसके अलावा जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही राज्य सरकारों की ओर से तय की जाएगी। वर्कप्लेसेज पर भी जरूरी नियमों को तय करने का अधिकार राज्यों को दिया गया है। यही नहीं मास्क, हैंड हाइजीन, सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों में सख्ती और फाइन तय करने का हक भी राज्यों के पास होगा। इसके अलावा राज्यों को जिला, तहसील और शहर या वार्ड के लेवल पर भी कोरोना से जुड़ी पाबंदियां तय करने का अधिकार दिया गया है।संक्रमण में अचानक आए उछाल के बाद लॉकडाउन को लेकर सरकार क्या सोच रही है, इस सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, "केंद्र सरकार लगातार उन राज्यों के संपर्क में है, जहां कोरोना संक्रमण में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में स्थिति में सुधार होगा।”

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