शनिवार, 19 दिसंबर 2020

बौद्धिक संपदा एवं उद्यमिता विकास पर सेमिनार संपन्न

मुजफ्फरनगर । श्रीराम काॅलेज की बौद्धिक सम्पदा एवं उद्यमिता विकास इकाई (आई0पी0आर0 एण्ड ई0डी0 सेल) द्वारा एक राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को उपर्युक्त विषयों पर जागरूक करना एवं नये व्यवसायिक संगठन प्रारम्भ करने के लिए प्रेरित करना रहा। कार्यक्रम में डाॅ0 आदित्य गौतम, निदेशक श्रीराम काॅलेज एवं डाॅ0 विनीत कुमार शर्मा, समन्वयक, आई0क्यू0ए0सी0, श्रीराम काॅलेज मुख्य वक्ता रहें।

मुख्य वक्ता डाॅ0 आदित्य गौतम ने अपने सम्बोधन में कहा कि बौद्धिक सम्पदा किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा सृजित कोई संगीत, साहित्यिक कृति, कला, खोज, प्रतीक, नाम, चित्र, डिजाइन, कापीराइट, ट्रेडमार्क, पेटेन्ट आदि को कहते है। आई पी आर यानी इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राईट यानी बौद्धिक सम्पदा अधिकार मानव मस्तिष्क के विचारों से उत्पन्न एक उपज हैं। दुनिया के देश, कई सदियों से अपने-अपने कानून बना कर इन्हे सुरक्षित करते चले आ रहें हैं। जब दुनिया में बहस तेज हुई कि कैसे बौद्धिक संपदा अधिकारों की रक्षा की जाए तब संयुक्त राष्ट्र के एक अभिकरण विश्व बौद्धिक संपदा संगठन की स्थापना की गई। इस संगठन के प्रयासों से ही बौद्धिक संपदा अधिकार के महत्त्व को प्रमुखता प्राप्त हुई। हैं। जिस प्रकार कोई किसी भौतिक धन (फिजिकल प्रापर्टी) का स्वामी होता है, उसी प्रकार कोई बौद्धिक सम्पदा का भी स्वामी हो सकता है। इसके लिये बौद्धिक सम्पदा अधिकार प्रदान किये जाते हैं। आप अपने बौद्धिक सम्पदा के उपयोग का नियंत्रण कर सकते हैं और उसका उपयोग कर के भौतिक सम्पदा (धन) बना सकते हैं।

डाॅ0 विनीत कुमार शर्मा, समन्वयक, आईक्यूएसी, ने उद्यमिता के बारे में छात्रों को बताते हुए कहा कि उद्यमिता नये संगठन आरम्भ करने की भावना को कहते हैं। किसी वर्तमान या भावी अवसर का पूर्वदर्शन करके मुख्यतः कोई व्यावसायिक संगठन प्रारम्भ करना उद्यमिता का मुख्य पहलू है। उद्यमिता में एक तरफ भरपूर लाभ कमाने की सम्भावना होती है तो दूसरी तरफ जोखिम, अनिश्चितता और अन्य खतरे की भी प्रबल संभावना होता है। उन्होने कहा कि एक लघु व्यवसाय की इकाई कोई भी व्यक्ति स्थापित कर सकता है। वह पुराना उद्यमी हो सकता है अथवा नवीन, उसे व्यवसाय चलाने का अनुभव हो सकता है और नहीं भी, वह शिक्षित भी हो सकता है अथवा अशिक्षित भी, उसकी पृष्ठभूमि ग्रामीण हो सकती अथवा शहरी। एक सफल उद्यमी के विषय में बताते हुए उन्होने कहा कि एक उद्यमी में अपने विचारों को व्यवहार में लाने की योग्यता होनी चाहिए। वह उन विचारों, उत्पादों, व्यवहारों की सूचना एकत्रित करता है, जो बाजार की मांग को पूरा करने में सहायक होते हैं। इन एकत्रित सूचनाओं के आधर पर उसे लक्ष्य प्राप्ति के लिए कदम उठाने पड़ते हैं।

कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय के ऐसे विद्यार्थियों को पुरूस्कृत एवं प्रोत्साहित किया गया जो महाविद्यालय की बौद्धिक सम्पदा एवं उद्यमिता विकास इकाई के माध्यम से उद्यमशीलता एवं लघु उद्यम स्थापित करने के लिए अग्रसर है। सबा, नदीम, श्रृद्धा गुप्ता को केचुआ खाद उद्योग के लिए, नादिर, प्रिया चैधरी को गौशाला एवं डेयरी उत्पाद के लिए तथा अजय कुमार, ऋतु तंवर, शिल्पा नैन को गुड पर खाद्य आवरण तकनीक विकसित करने के लिए सम्मानित किया गया।


कार्यक्रम का संचालन इकाई के समन्वयक डाॅ0 सौरभ जैन, विभागाध्यक्ष, बायोसाइंस विभाग द्वारा किया गया। डाॅ0 सौरभ जैन द्वारा अन्त में सभी वक्ताओं एवं श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि श्रीराम काॅलेज की बौद्धिक सम्पदा एवं उद्यमिता विकास इकाई विद्यार्थियों में उद्यमशीलता के विकास के लिए लगातार कार्य कर रहीं है। इकाई के प्रयासों से ही विद्यार्थियों में लघु उद्यम स्थापित करने की भावना विकसित हो रहीं है। इकाई आगे भी विद्यार्थियों के उद्यमशीलता के नवीन विचारो को लघु उद्यम में बदलने का हरसंभव प्रयास करेगी। इस अवसर पर रूपल मलिक, श्रीकान्त सिंह, डाॅ0 के0एस0बर्मन, डाॅ0 सौरभ मित्तल, रवि गौतम, विवेक कुमार त्यागी आदि इकाई सदस्यों सहित डाॅ0 प्रेरणा मित्तल, डाॅ0 गिरेन्द्र गौतम, निशान्त राठी, पंकज कुमार, डाॅ0 पूजा तोमर, प्रमोद कुमार, डाॅ0 नईम खान आदि प्रवक्तागण उपस्थित रहें।

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