बुधवार, 9 दिसंबर 2020

11 दिसंबर को ना होना बीमार, हड़ताल पर हैं डॉक्टर

 मुजफ्फरनगर। आॅल इंडिया इंडियन मैडिकल एसोएिसएशन के आह्वान पर आईएमए की मुजफ्फरनगर शाखा के सभी चिकित्सक सदस्य आगामी 11 दिसम्बर को प्रातः छह बजे से शाम छह बजे तक बारह घंटे की स्ट्राइक पर रहेंगे। इस दौरान इमरजेंसी सेवाएं और कोविड के इलाज की सुविधाएं बराबर जारी रहेगी। उपरोक्त जानकारी देते हुए इंडियन मैडिकल एसोसिएशन के जनपदीय चैप्टर के अध्यक्ष डा. एमएल गर्ग ने सरकुलर रोड स्थित आईएमए भवन में पत्रकारों से वार्ता करते हुए बताया कि गत आठ दिसम्बर केा भी आल इंडिया इंडियन मैडिकल एसोसिएशन के निर्देश पर सरकार के चिकित्सा शिक्षा में खिचडी तंत्र के विरोध में दो घंटे के लिए बारह बजे से दो बजे तक सांकेतिक आंदोलन किया गया था। इस दौरान सभी डाक्टर ने अपनी अपनी बाहों पर काली पट्टी बांधकर कार्य किया था। आईएमए के कोषाध्यक्ष डा. ईश्वर चन्द्रा ने पत्रकारों को बताया कि मिक्सोपैथी यानि एक पद्धति के चिकित्सक को दूसरी पद्धति के कार्यो की अनुमति देना चिकित्सा के स्तर और उसकी गुणवत्ता को कम करना है। सरकार ने आर्युवेदिक चिकित्सकों को सर्जरी की परमिशन देकर उचित नहीं किया है यदि सरकार ने अपने फैसले पर विचार नहीं किया तो आईएमए के बेहोश करने वाले डाक्टर आर्युवेदिक चिकित्सकों को अपना सहयोग प्रदान नहीं करेंगे क्योंकि एमबीबीएस डाक्टरों का मानना है कि जिस विधि को सीखने में दस से बारह साल लग जाते है वह कुछ माह की ट्रेनिंग से कैसे सीखी जा सकती है। आर्युवेद में तो एनएसथीसिया की पढ़ाई भी नहीं है तो बिना बेहोशी के वह सर्जरी कैसे करेंगे। कई बार मरीज की सर्जरी में काॅम्पिलेकेशन आ जाती है और उसे हायर सर्जरी के लिए रैफर भी करना पड़ता है उस समय यह चिकित्सक उस केस को कैेसे सम्भालेंगे यह अपने आप में एक प्रश्न है? आईएमए हर विद्या को स्वतंत्र रूप से विकसित करने की पक्षधर है यद्य़पि मार्डन चिकित्सा प्रणाली पूरी तरह से रिसर्च पर आधारित है और हर मर्ज का इलाज आधुनिक तरीके से किया जाता है। डा. अनुज माहेश्वरी ने कहा कि बेशक आर्युवेद और होम्योपैथी अच्छी चिकित्सा प्रणाली है लेकिन इमरजेंसी में एलोपैथिक दवाएं ही काम करती है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस दृष्टिकोण का राष्ट्रव्यापी विरोध शुरू हो गया है। सरकार को चाहिए कि यदि अन्य पैथी के चिकित्सकांे को अनुमति देनी है तो उनके लिए मूलभूत शिक्षा में व्यापक इंतजाम करे।

डा. एमएल गर्ग ने बताया कि देश में इलाज के लिए कोई नयी दवा आनी हो या बीमारी को रोकने के लिए वैक्सीन तैयार करनी हो मार्डन चिकित्सा के रिसर्च से ही सम्भव हो पाता है। 1950 में लाइफ एक्सपेक्टनसी 35 साल से 2020 में 69 साल हो गयी है यह मार्डन चिकित्सा से ही सम्भव हो सका। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि वह मैडिकल कालेज की संख्या बढ़ाये, सीट बढाये और अधिक संख्या में पद्धति के योग्य एवं प्रशिक्षित चिकित्सक तैयार करे। उन्होंने सरकार से मैक्सो पैथी (खिचडी तंत्र) के निर्णय को वापस लेकर मार्डन मैडिसन और अन्य चिकित्सा तंत्रों को स्वतंत्र रूप से विकसित करने का निर्णय ले। 

 इस अवसर पर वरिष्ठ चिकित्सक डा. अरूण अरोरा के अलावा अन्य चिकित्सक भी मौजूद रहे


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