रविवार, 15 नवंबर 2020

गोवर्धन पूजा : जानिए शुभ पूजा मुहूर्त और कथा


 


दिवाली की पंच पर्व श्रंखला में धनतेरस, नरक चतुर्दशी, बड़ी दिवाली के बाद चौथा त्यौहार 'गोवर्धन पूजा' है। लोग इसे 'अन्नकूट' के नाम से भी जानते हैं, इस बार गोवर्धन पूजा आज है।


 


गोवर्धन पूजा 2020


गोवर्धन पूजा पर्व तिथि - रविवार, 15 नवंबर 2020


गोवर्धन पूजा सायं काल मुहूर्त - दोपहर बाद 15:17 बजे से सायं 17:24 बजे तक


प्रतिपदा तिथि प्रारंभ - 10:36 (15 नवंबर 2020) से


प्रतिपदा तिथि समाप्त - 07:05 बजे (16 नवंबर 2020) तक


पूजा विधि


 


इस पूजा को करने के लिए गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत मनाया जाता है, फिर भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत को 'अन्नकूट' का भोग लगाते हैं, इस दिन गाय-बैल को स्नान कराकर उन्हें रंग लगाया जाता है और उनके गले में नई रस्सी डाली जाती है। गाय-बैलों को गुड़ और चावल मिलाकर खिलाया जाता है और उनकी आरती उतारी जाती है।


 


गोवर्धन पूजा की कथा


 


देवराज इंद्र को अभिमान हो गया था, इंद्र का घमंड तोड़ने के लिए लिए भगवान श्री कृष्ण एक लीला रची। प्रभु की इस लीला में यूं हुआ कि एक दिन उन्होंने देखा के सभी बृजवासी उत्तम पकवान बना रहे हैं और किसी पूजा की तैयारी में जुटे। श्री कृष्ण ने मां यशोदा से प्रश्न किया " मईया ये आप लोग किनकी पूजा की तैयारी कर रहे हैं" कृष्ण की बातें सुनकर मैया बोली लल्ला हम देवराज इंद्र की पूजा के लिए 'अन्नकूट' की तैयारी कर रहे हैं। लीलाधारी की लीला और माया से सभी ने इन्द्र के बदले गोवर्धन पर्वत की पूजा की। देवराज इंद्र ने इसे अपना अपमान समझा और मूसलाधार वर्षा शुरू कर दी। प्रलय के समान वर्षा देखकर सभी बृजवासी भगवान कृष्ण को कोसने लगे कि, सब इनका कहा मानने से हुआ है। तब मुरलीधर ने अपनी कनिष्ठा उंगली पर पूरा 'गोवर्धन पर्वत' उठा लिया और सभी बृजवासियों को उसमें अपने गाय और बछडे़ समेत शरण लेने के लिए बुलाया।


 


इंद्र को इस बात पर और गुस्सा आ गया


 


इंद्र को इस बात पर और गुस्सा आ गया और उन्होंने वर्षा और तेज हो गयी। इंद्र का मान मर्दन के लिए तब कान्हा जी ने सुदर्शन चक्र से कहा कि आप पर्वत के ऊपर रहकर वर्षा की गति को नियत्रित करें और शेषनाग से कहा आप मेड़ बनाकर पानी को पर्वत की ओर आने से रोकें। इंद्र लगातार सात दिन तक मूसलाधार वर्षा करते रहे तब उन्हे एहसास हुआ कि उनका मुकाबला करने वाला कोई आम मनुष्य नहीं हो सकता अत: वे ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और सब वृतान्त कह सुनाया। तब ब्रह्मा जी ने बताया कि वो विष्णु के अवतार हैं, यह सुनकर इन्द्र अत्यंत लज्जित हुए औरकृष्ण से कहा कि प्रभु मैं आपको पहचान न सका इसलिए अहंकारवश भूल कर बैठा, मुझे क्षमा कीजिए। लेकिव इस पौराणिक घटना के बाद से ही 'गोवर्धन पूजा' की जाने लगी।


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