टीआर ब्यूरो l
लखनऊ l मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस नीति का असर साफ दिखाई देने लगा है। प्रदेश के एक साथ सात जिलों के डीएम को हटाकर प्रतीक्षा सूची में डालकर यह साफ संकेत दे दिया गया है कि गड़बड़ी छवि वाले आईएएस अफसरों को महत्वपूर्ण पदों पर नहीं रखा जाएगा। सूत्रों का कहना है कि पिछले दो-तीन सालों से एक ही जिले में जमे डीएम के कामों की समीक्षा की जा रही है। इसलिए माना जा रहा है कि जल्द ही कई और जिलों के डीएम पर गाज गिर सकती है।
क्यों हटे जिलों के डीएम
शासन ने शुक्रवार की देर रात आठ जिलों के डीएम को हटाया। इसमें से सात जिलों के डीएम को प्रतीक्षा सूची में डाल दिया गया है। सुलतानपुर व गाजीपुर में पल्स आक्सीमीटर व इंफ्रारेड थर्मामीटर खरीद घोटाले का खुलासा होने के बाद वहां के डीपीआरओ को निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद से इन दोनों जिलों के डीएम को हटाए जाने की चर्चाएं शुरू हो गई थीं। यही कारण है कि इन जिलों में तेज तर्रार अफसरों को डीएम बनाया गया है। संतकबीरनगर में बेहतर काम करने वाले रवीश गुप्ता को सुलतानपुर और एलडीए के सचिव मंगला प्रसाद सिंह को गाजीपुर का डीएम बनाया गया।
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