शनिवार, 26 सितंबर 2020

धर्मांतरण ने भारतीय संस्कृति को नुकसान पहुंचाया : स्वामी सच्चिदानंद


मुजफ्फरनगर। अंतरराष्ट्रीय वेद प्रचारक स्वामी सच्चिदानंद सरस्वती ने कहा कि धर्मांतरण ने भारत की वैदिक सभ्यता, संस्कृति और संस्कारों को क्षति पहुंचाई है। देश की एकता, अखंडता और सम्प्रभुता के लिए केंद्र सरकार धर्मांतरण में जुटी संस्थाओं को प्रतिबंधित करें।


शहर के संतोष विहार में वैदिक संस्कार चेतना केंद्र पर श्री कृष्ण क्रांति गौशाला रिवाला धाम, जयपुर से पधारे स्वामी सच्चिदानन्द सरस्वती का आर्य समाज के पदाधिकारियों ने अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि धर्मांतरण ने हिंदू समाज को सबसे ज्यादा क्षति पहुंचाई है। मुल्क के बंटवारे के बाद देश में सुनियोजित षडयंत्र के तहत आदिवासी, जनजाति और गरीब हिंदुओ का धर्म परिवर्तन कराया गया, ताकि सनातन वैदिक संस्कृति को खंडित किया जा सके। राष्ट्रविरोधी ताकते बार-बार सांप्रदायिक दंगे फैलाकर देश को पुनः बांटना चाहती है। दिल्ली में कराये गये दंगे की साजिश से साबित हो गया है। देश को बचना के लिए जागिये। एकजुट होकर धर्मांतरण का विरोध कीजिये। राष्ट्रीय भावना से बढ़कर कोई धर्म नहीं है। मातृभूमि की रक्षा के लिए युवा आगे आये और राष्ट्र की संस्कृति, संस्कार, चरित्र देशभक्ति और धर्म का पालन करें। जन-जन के आराध्य श्री राम ने कहा था कि जननी जन्मभूमि स्वर्ग से बढ़कर है। 


वैदिक संस्कार चेतना अभियान संयोजक आचार्य गुरुदत्त आर्य ने कहा कि नौजवान महर्षि दयानंद, स्वामी श्रद्धानन्द, शहीद भगत सिंह, पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, लाला लाजपत राय के बलिदान से राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा लें। आनंदपाल सिंह आर्य, आर.पी.शर्मा, मंगत सिंह आर्य, सोमपाल सिंह, गजेंद्र राणा, सतीश आर्य, योगेश्वर दयाल, सुनील मलिक, राजेन्द्र प्रसाद आर्य आदि मौजूद रहे। अध्यक्षता आचार्य गुरुदत्त आर्य एवं संचालन आर.पी.शर्मा ने किया।


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