रविवार, 27 सितंबर 2020

बिजली कर्मचारी सोमवार को निकालेंगे मशाल जुलूस

लखनऊ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आवाहन पर उत्तर प्रदेश के सभी ऊर्जा निगम निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर व अभियंता 28 सितम्बर को शहीद ए आजम भगत सिंह के जन्म दिन पर राजधानी लखनऊ सहित सभी 75 जनपदों और परियोजनाओं पर मशाल जुलूस निकालकर सार्वजानिक क्षेत्र को बचाने का संकल्प लेंगे। 


संघर्ष समिति के पदाधिकारियों  शैलेन्द्र दुबे , प्रभात सिंह, जी वी पटेल, जय प्रकाश, गिरीश पांडेय, सदरुद्दीन राना, सुहेल आबिद, राजेन्द्र घिल्डियाल,  विनय शुक्ल, डी के मिश्र, महेंद्र राय, सुनील प्रकाश पाल, वी सी उपाध्याय, शशिकांत श्रीवास्तव,  वी के सिंह कलहंस,  परशुराम,  विपिन वर्मा,  मोहम्मद इलियास,  भगवान मिश्र, पूसे लाल, शम्भू रत्न दीक्षित,ए के श्रीवास्तव, पी एन तिवारी, पी एस बाजपेई ने बताया कि बिजली कर्मी 29 सितंबर से 3 घंटे का कार्य बहिष्कार करेंगे। संघर्ष समिति द्वारा सरकार और प्रबंधन को भेजी गई नोटिस में कहा गया है कि यदि निजीकरण का प्रस्ताव निरस्त न किया गया तो 5 अक्टूबर से बिजली कर्मी पूरे दिन का कार्य बहिष्कार करेंगे। 


राजधानी लखनऊ में 28 सितम्बर को सायं 05 बजे राणा प्रताप मार्ग स्थित हाइडिल फील्ड हॉस्टल से मशाल जुलूस प्रारम्भ होकर हजरतगंज में जीपीओ स्थित महात्मा गाँधी की प्रतिमा तक जाएगा। 


संघर्ष समिति ने मशाल जुलूस में सम्मिलित होने के लिए आम जनता से अपील करते हुए कहा  है  कि पूर्वांचल विद्युत् वितरण निगम का निजीकरण किसी भी प्रकार से प्रदेश व आम जनता के हित में नहीं है। निजी कंपनी मुनाफे के लिए काम करती है जबकि पूर्वांचल विद्युत् वितरण निगम बिना भेदभाव के किसानों और गरीब उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली आपूर्ति कर रहा है। निजी कंपनी  अधिक राजस्व वाले वाणिज्यिक और औद्योगिक उपभोक्ताओं को प्राथमिकता पर बिजली देगी जो ग्रेटर नोएडा और आगरा में हो रहा है। निजी कंपनी लागत से कम मूल्य पर किसी उपभोक्ता को बिजली नहीं देगी। अभी किसानों, गरीबी रेखा के नीचे और 500 यूनिट प्रति माह बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को पॉवर कारपोरेशन घाटा उठाकर बिजली देता है जिसके चलते इन उपभोक्ताओं को लागत से कम मूल्य पर बिजली मिल रही है। अब निजीकरण के बाद  स्वाभाविक तौर पर इन उपभोक्ताओं के लिए बिजली महंगी होगी।


 उत्तर प्रदेश में बिजली की लागत का औसत रु 07.90 प्रति यूनिट है और निजी कंपनी द्वारा  एक्ट के अनुसार  कम से कम 16 प्रतिशत  मुनाफा लेने के बाद रु 09.50 प्रति यूनिट से कम दर पर बिजली किसी को नहीं मिलेगी। इस प्रकार एक किसान को लगभग 8000 रु प्रति माह और घरेलू उपभोक्ताओं को 8000 से 10000 रु प्रति माह तक बिजली बिल देना होगा। निजी वितरण कंपनियों को कोई घाटा न हो इसीलिये निजीकरण के प्रस्ताव के अनुसार पूर्वांचल में तीन वर्ष में ट्यूबवेल के फीडर अलग कर ट्यूबवेल को सौर ऊर्जा से जोड़ देने की योजना है। अभी सरकारी कंपनी घाटा उठाकर किसानों और उपभोक्ताओं को बिजली देती है। निजीकरण के प्रस्ताव के अनुसार सरकार निजी कंपनियों को 05 साल से 07 साल तक परिचालन व अनुरक्षण हेतु आवश्यक धनराशि भी देगी। साथ ही निजी कंपनियों को विद्युत वितरण सौंपने के समय तक के सभी घाटे का उत्तरदायित्व पॉवर कारपोरेशन अपने ऊपर ले लेगा जिससे निजी कंपनियों को क्लीन स्लेट मिले। 


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