बुधवार, 19 अगस्त 2020

क्या दो टुकडों में बंट जाएगी धरती?

वाशिंग्टन। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मुताबिक धरती का कवच लगातार कमजोर हो रहा है। यह कवच दक्षिण अमेरिका और दक्षिणी अटलांटिक समुद्र के बीच में कमजोर हो रहा है। खगोलविदों ने कवच में दरार बनने की इस प्रक्रिया  को दक्षिण अटलांटिक विसंगति का नाम दिया है।


खगोलविदों के मुताबिक, यह दरार हर सेकंड बढ़ती जा रही है और यह दो टुकड़ों में बंट सकती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह दरार धरती के भीतर बन रही है, मगर इसका असर धरती की सतह पर हो रहा है। इसके चलते धरती के वातावरण में कमजोर चुंबकीय क्षेत्र बन रहा है जो सूरज से निकलने वाले घातक विकिरणों को धरती की सतह जाने से रोक पाने में सक्षम नहीं हो पा रहा है।


वैज्ञानिकों के मुताबिक, चुंबकीय क्षेत्र के चलते कवच में दरार तो बन ही रही है। धरती के उत्तरी हिस्से से यह कमजोर चुंबकीय क्षेत्र पूरे आर्कटिक की ओर फैल गया है। मई में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने रिपोर्ट दी थी कि बीते 200 बरसों में चुंबकीय क्षेत्र ने औसतन अपनी 9 फीसदी क्षमता गंवा दी थी। 1970 से ही कवच में क्षति की प्रक्रिया में तेजी आई और यह 8 फीसदी कमजोर हुआ है। हालांकि, कवच के दो टुकड़ों में बंटने को साबित नहीं किया जा सकता है।


सैटेलाइट मिशनों के घर पर खतरा, प्रोटॉन कणों की बौछार से खराब होने की आशंका


वैज्ञानिकों के मुताबिक धरती के भीतर पैदा हो रही इस गड़बड़ी का असर धरती की सतह तक हो रहा है। खासकर धरती के नजदीकी वातावरण पर इसका गहरा कुप्रभाव पड़ेगा, जो सैटेलाइट मिशनों के लिए घर है। बताया जा रहा है कि अगर ऐसा हुआ तो दुनिया भर के सैटेलाइट मिशनों को एक और बड़ी चुनौती का सामना करना होगा।


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