सोमवार, 18 मई 2020

वक्री गुरु के दुष्प्रभाव से बचें, करें ये काम  


बृहस्पति को शुभ, सत्य, सद्गुण, सदाचार, सम्मान और प्रतिष्ठा प्रदान करने वाला ग्रह कहा गया है। किसी जातक की जन्मकुंडली में इस ग्रह का शुभ होना अत्यंत आवश्यक है। बृहस्पति शुभ नहीं है तो व्यक्ति में सद्गुणों का अभाव रहता है। बृहस्पति वर्तमान गोचर में मकर राशि में शनि के साथ विराजमान है। बृहस्पति 14 मई 2020 को रात्रि 9.05 बजे वक्री है। यह 13 सितंबर 2020 को सुबह 6.10 बजे तक वक्री रहेगा। वक्री गति करते हुए बृहस्पति 30 जून को मकर से धनु राशि में आ जाएगा और फिर मार्गी होकर 20 नवंबर को पुन: धनु से मकर में प्रवेश कर जाएगा। 14 मई से 13 सितंबर तक कुल 122 दिन की वक्री अवधि में बृहस्पति सभी राशि के जातकों को प्रभावित करेगा।
नवग्रहों में बृहस्पति सबसे बड़ा और प्रभावशाली ग्रह है।
बृहस्पति का संबंध शुभ कार्यों से है। यह सदाचार, सद्गुण, सत्यता, विवेक, दार्शनिकता आदि प्रदान करता है।
कुंडली में द्वितीय, पंचम, नवम, दशम एवं एकादश भाव का कारक है।
यह पुनर्वसु, विशाखा और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्रों का स्वामी है।
बृहस्पति बारह महीनों में चार महीने वक्री रहता है।
बृहस्पति एक राशि में लगभग एक वर्ष रहता है और 12 राशियों का चक्र पूरा करने में लगभग साढ़े बारह से तेरह वर्ष का समय लेता है। 
क्या होगा बृहस्पति के वक्री होने का प्रभाव
बृहस्पति के वक्री होने से लोगों में सदाचार, सहनशीलता की कमी आएगी।
अपने लाभ के लिए लोग दूसरों पर अत्याचार करने से परहेज नहीं करेंगे।
शनि की राशि मकर में शनि के साथ वक्री होने के कारण रोगों में वृद्धि होगी।
बृहस्पति के वक्री होने से कफ प्रकृति के रोगों में बढ़ोतरी होगी।
त्वचा संबंधी रोग फैलने की आशंका रहेगी।
लोगों के व्यवहार में अचानक परिवर्तन देखने को मिलेगा।
आर्थिक स्थिति डावांडोल रहेगी। धन की कमी महसूस करेंगे।
वक्री गुरु के कुछ शुभ प्रभाव भी होंगे। लोगों में दूरदर्शिता बढ़ेगी।
वक्री बृहस्पति को शुभ कैसे करें
वक्री बृहस्पति को शुभ कैसे करें
सात्विक प्रवृत्ति का साथ ना छोड़ें। माता-पिता की सेवा करें।
भगवान विष्णु की पूजा से बृहस्पति शुभ फल देने लगते हैं।
प्रतिदिन पीपल के पेड़ में हल्दी मिश्रित दूध अर्पित करें।
प्रतिदिन शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं।
गरीबों को पीले अनाज का दान करें।
पीले रंग के फूल का पौधा लगाएं।
गुरुवार का व्रत रखें।
नहाने के पानी में गंगाजल और पीली सरसो या हल्दी डालकर स्नान करें।
हल्दी की गांठ, नीबू, नमक का दान करें।


 


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