नई दिल्ली। तीन मई को देश में लॉकडाउन खत्म होगा या जारी रहेगा अभी इस पर सस्पेंस बरकरार है। पीएम नरेंद्र मोदी की आज मुख्यमंत्रियों के संग हुई बैठक में कई राज्यों के सीएम ने 3 मई के बाद भी लॉकडाउन बढ़ाने की अपील की। माना जा रहा है कि सभी तथ्यों पर विचार के बाद मोदी एक या दो गई को राष्ट ªको संबोधित कर सकते हैं। बैठक में इस बात पर भी सहमति बनती दिखी की लॉकडाउन में अचानक ढील नहीं दी जाए। हालांकि अनेक मुख्यमंत्री आर्थिक गतिविधियों को बढाने के पक्ष में दिखे। पीएम मोदी ने बैठक में कहा कि देश में लॉकडाउन का लाभ हुआ है और दूसरे देशों की तुलना में भारत की स्थिति अच्छी है। हालांकि पीएम ने साथ ही कहा कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई को हमें धैर्यपूर्वक लड़ना होगा। आज हुई बैठक में मेघालय, मिजोरम, पांडिचेरी, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, बिहार, गुजरात और हरियाणा के सीएम को बोलने का मौका मिला। यूपी को आज अवसर नहीं मिला। पीएमओ सूत्रों के अनुसार हर मीटिंग में अलग-अलग सीएम को बोलने को मौका मिलता है और किसी एक मीटिंग में अगर सारे सीएम को बोलने का मौका दिया गया तो बहुत लंबी चल जाएगी मीटिंग।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि देश में लॉकडाउन का निश्चित तौर पर असर पड़ा और कोरोना संकट क मामले में भारत पर वैसा व्यापक असर नहीं पड़ा जितना दूसरे देशों पर पड़ा। लेकिन अब जान भी जहान को ध्यान में रखते हुए 3 मई के बाद सतर्क भरी रणनीति बनानी होगी जिसमें लोगों की आजीविका भी सामान्य होने की ओर बढ़े और रोग के रोकथाम के लिए हर जरूरी एहतियात कदम बने रहे। पीएम ने मीटिंग में कहा कि यह लंबी लड़ाई है, हमको धैर्यपूर्वक लड़ना है। पीएम मोदी संग बैठक में लगभग 10 राज्यों ने लॉकडाउन आगे बढ़ाने की वकालत की हैं। इनमें दिल्ली, गुजरात, मध्य प्रदेश, गुजरात जैसे राज्य शामिल है। पीएम ने मीटिंग में कहा कि यह लंबी लड़ाई है, हमको धैर्यपूर्वक लड़ना है। तेलंगाना ने पहले ही 7 मई तक लॉकडाउन बढ़ाने का ऐलान कर रखा है। टेस्टिंग को कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अहम हथियार बताया जा रहा है। अमेरिका का टारगेट है कि रोज 2.2 करोड़ टेस्ट्स किए जाएं ताकि हर दो हफ्ते में पूरी जनसंख्या कवर हो जाए। भारत अभी डेली 50 हजार से भी कम टेस्ट कर रहा है। अपर्याप्त टेस्टिंग से वायरस तेजी से फैलता है। अगर हम सिर्फ लक्षणों वाले मरीजों को टेस्ट करेंगे तो वायरस को नहीं रोक पाएंगे। वैसे भी प्ब्डत् के मुताबिक, भारत में 69 फीसदी मरीज ऐसे हैं जिनमें कोई लक्षण नहीं दिखे। यानी हमें हेल्दी लोगों को भी टेस्ट करने की जरूरत है क्योंकि वे श्सुपर स्प्रेडर्सश् हो सकते हैं।
अगर किसी को कोरोना वायरस जकड़ता है तो वह शख्स शुरुआती कुछ दिन बेहद संक्रामक होता है। कैरियर्स का जल्द पता लगाने के लिए, मरीज के संपर्क में आए हर व्यक्ति को ट्रेस करना बहुत जरूरी है। आरोग्य सेतु ऐप इसीलिए बनाया गया है मगर उसके इतने यूजर्स नहीं हैं। हमें कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसर्स की एक बहुत बड़ी टीम चाहिए होगी। वुहान ने 1.1 करोड़ की आबादी के लिए ने 5-5 सदस्यों वाली 1,800 टीमें बनाई थीं जो कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग में लगी थीं। कोरोना वायरस इतनी जल्दी कहीं नहीं जाने वाला। यह दूसरी बार जरूर पलटकर आएगा। बहुत से एक्सपर्ट मानते हैं कि कोरोना की सेकेंड वेव इससे भी खतरनाक होगी। 1918 इन्फ्लुएंजा महामारी की सेकेंड वेव ने लाखों लोगों को मौत की नींद सुला दिया था। इसलिए सेकेंड वेव स्ट्राइक करने से पहले हमें पुख्ता तैयारियां करनी होंगी।
आप चाहें या नहीं, मगर कोरोना वायरस की वजह से लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव तो करने ही पड़ेंगे। बाजारों, बसों और ट्रेनों में भीड़ कम रखनी होगी क्योंकि वायरस को भीड़ बहुत पसंद है। जब तक वैक्सीन डेवलप नहीं होती, तबतक खचाखच भरे स्टेडियम नहीं नजर आएंगे। मास्क पहनने, हाथों को सैनिटाइज करने, जगह-जगह टेंप्रेचर चेक्स से गुजरने और सोशल डिस्टेंसिंग फॉलो करने की आदत डालनी होगी। कोरोना वायरस से बचाने वाले डॉक्टर्स, नर्सेज और हेल्थकेयर वर्कर्स को बचाना बेहद जरूरी है। ऐसे कई मामले हैं जब एक केस की वजह से पूरे अस्पताल को क्वारंटीन करना पड़ा। ऐसी घटनाओं से हेल्थकेयर सिस्टम कमजोर पड़ता है। सरकार की जिम्मेदारी है कि उन्हें सभी सुरक्षा उपकरण मुहैया कराए। उनके परिवार को सपोर्ट करना भी सरकार का काम है।
कोरोना संक्रमित पाए गए लोगों को आइसोलेट करना जरूरी है। मगर उन्हें पुलिस एस्कॉर्ट में ले जाना जैसे वे कोई अपराधी हों, ठीक नहीं। कुछ हिस्सों से उनके बायकॉट की खबरें भी आईं। यह रवैया कोरोना की समस्या को और बढ़ाएगा ही। लोग अपने लक्षण छिपाने लेंगे और क्वारंटीन सेंटर्स से भागने की कोशिश करेंगे। ब्व्टप्क्-19 को अपराध जैसे ट्रीट करने की जरूरत नहीं है। हम एक लोकतांत्रिक देश हैं। मूल अधिकारों को दबा नहीं सकते। लोकतंत्र में मनुहार करनी पड़ती है, बलपूर्वक काम नहीं होता। सरकार को समय पर और सटीक जानकारी जनता को देनी होगी। अगर लोग सरकार पर भरोसा रखेंगे तो नई नीतियों को लागू करने में ज्यादा आसानी होगी।
सूत्रों के अनुसार 3 मई के बाद लॉकडाउन पर अभी तुरंत फैसला नहीं हुआ लेकिन पीएम मोदी सहित सभी सीएम की आम राय यह बनती रही कि 3 मई के बाद अचानक ढील दिए जाने के हालात नहीं है। लेकिन अब लॉकडाउन का स्वरूप अधिक स्थानीय (सवबंस) करने की जरूरत है। हॉटस्पॉट, रेड जोन और ग्रीन जोन को अधिक से अधिक चिह्नित कर उस दिशा में काम करने की जरूरत है ताकि हालात कुछ हद तक सामान्य हो सके। सूत्रों के अनुसार, रेड जोन में लॉकडाउन की पूरी पांबदी के साथ जारी रह सकता है। येलो जोन में कुछ रियायत मिल सकती है। ग्रीन जोन में पूरी तरह पाबंदी हट जाएगी लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग के नियम लागू रहेंगे। लेकिन अभी से यात्रा पर प्रतिबंध कम से कम पंद्रह दिनों तक किसी तरह की रियायत मिलने की उम्मीद कम है। मतलब रेल और वायु सेवा के लिए अभी इंतजार करना पड़ सकता है।
सप्ताह के अंत में देश को संबोधित कर सकते हैं पीएमओ सूत्रों के अनुसार सीएम के साथ मीटिंग करने के बाद अगले दो-तीन दिनों तक आगे की रणनीति को अंतिम रूप दिया जाएगा। इसके तहत 3 मई के बाद लॉकडाउन के स्वरूप की चर्चा होगी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ वित्तीय पैकेज पर बात होगी। इसके बाद सप्ताह के अंत में शनिवार या रविवार को पीएम मोदी देश को दोबारा संबोधित कर सकते हैं। कोरोना संकट पर पर यह उनका चैथा देश के नाम संबोधन हो सकता है।
सूत्रों के अनुसार नीतीश कुमार ने मीटिंग में प्रवासी मजदूरों का मामला उठाया। इसके अलावा कोटा में फंसे स्टूडेंट का मामला भी। साथ ही उन्होंने पीपीई किट का मामला भी उठाया। ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक ने एक महीना और लॉक डाउन बढ़ाने की बात कही। तीन घंटे से अधिक चली मीटिंग में पीएम मोदी ने आगे आने वाली चुनौतियों के बारे में बताया।
सोमवार, 27 अप्रैल 2020
लॉकडाउन पर पीएम की वीसी में यूपी को नहीं मिला मौका
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