मुजफ्फरनगर। ऐसे समय में जब भारत ही नहीं अपितु सारा विश्व बीमारियों से जूझ रहा है और वहीं दवाओं के दुष्प्रभाव से भी पीड़ित है, योग और ध्यान बहुत तेजी से उभरता हुआ एक ऐसा माध्यम बनता जा रहा है जो न सिर्फ शरीर को रोगों से बचाता है बल्कि मन को भी शुद्ध करता है।
योग और ध्यान की इसी कड़ी में एक महत्वपूर्ण कड़ी है ‘सहज योग‘। डाॅ वैशाली सिंह जो एस0 डी0 काॅलेज आॅफ फार्मेसी एण्ड वोकेश्नल स्टडीज मुजफ्फरनगर में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत है और पिछले 21 वर्षो से सहज योगा ;ैंींर लवहंद्ध से जुड़ी हुई हैं और इसको जन-जन तक पहुँचाने का कार्य कर रही हैं। वे सहज योग के वर्कशाॅप्स भी आयोजित करती हैं।
डाॅ वैशाली सिंह ने बताया कि ‘सहज योग‘ की स्थापना श्री माताजी निर्मला देवी जी ने सन् 1970 के दशक में की थी और ‘सहज योग‘ के माध्यम से हम सहजता के साथ आत्म-ज्ञान ;ैमस ित्मंसप्रंजपवदद्ध की प्राप्ति कर सकते हैं और साथ ही साथ कई बीमारियों से बचे रह सकते हैं, सहजयोग पूरी तरह निःशुल्क है।
सहजयोग का हिन्दी मे अर्थ है कि सह= आपके साथ और ज= जन्मा हुआ अर्थात् योग से तात्पर्य मिलन या जुडना अतः वह तरीका जिससे मनुष्य का सम्बन्ध (योग) परमात्मा से हो सकता है सहजयेग कहलाता है। मानव शरीर में जन्म से ही एक शुक्ष्म तन्त्र अद्रश्य रूप में हमारे अन्दर होता है जिसे आध्यात्मिक भाषा में सात चक्र और इड़ा, पिंगला, शुशम्ना नाड़ियों के नाम से जाना जाता है। इसके साथ ही परमात्मा की एक शक्ति कुण्डलिनी नाम से मानव शरीर में स्थित होती है। यह कुण्डलिनी शक्ति बच्चा जब माँ के गर्भ में होता है और जब भ्रूण दो से ढाई महीने (60 से 75 दिन) का होता है तब यह शिशु का तालू भाग (सपउइपब ंतमं) में प्रवेश करती है और मश्तिष्क में अपने प्रभाव को सक्रिय करते हुए रीढ़ की हड्डी में मेरूरज्जु में होकर नीचे उतरती है जिससे ह्रद्य में धड़कन शुरू हो जाती है। इस तरह यह कार्य परमात्मा का एक जीवंत कार्य होता है जिसे डाॅक्टर बच्चे में एनर्जी आना बोलते हैं। इसके बाद यह शक्ति रीढ़ की हड्डी के अंतिम छोर तिकोनी हड्डी ;ैमबतनउ इवदमद्ध में जाकर साढ़े तीन कुंडल (लपेटे) में जाकर स्थित हो जाती है ेइस शक्ति को कुण्डलिनी बोलते हैं। यह शक्ति प्रत्येक मानव में सुप्तावस्था में होती है। आज विश्व व्यापी महामारी का रूप ले चुके कोरोना वायरस के संक्रमण के आतंक से बचाव हेतु सभी को अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने की जरूरत है। खान-पान के साथ-साथ दिन में दो बार सुबह-शाम ध्यान से भी सभी अपनी प्रतिरोधक क्षमता (पउउनदपजलद्ध बढ़ा सकते है। लाॅकडाउन के समय में भी आॅनलाइन ध्यान निःशुल्क कराया जा रहा है। अतः आज के परिदृश्य को देखते हुए यह आवश्यक हो गया है कि सभी अपने आप को सुरक्षित रखे। ज्यादा जानकारी के लिए सम्पर्क करंे टोल फ्री नंबर पर।
गुरुवार, 9 अप्रैल 2020
बीमारियों के इस युग में कितना महत्वपूर्ण है ध्यान व योग
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